Messages of Lord Krishna: गीता जयंती, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई गीता के संदेश के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन शिक्षाओं को याद करने और उनका पालन करने का अवसर प्रदान करता है, जो भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध भूमि पर दी थीं। गीता न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाली एक अमूल्य धरोहर है।
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गीता के प्रत्येक श्लोक में जीवन के हर पहलु की गहरी समझ दी गई है, जैसे कि कर्म, भक्ति, ज्ञान, और योग। इस दिन को मनाने से हम गीता के उन सिखावनियों को अपने जीवन में उतार सकते हैं, जो हमें जीवन के संघर्षों से उबरने और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने में मदद करती हैं।
यहां पढ़ें लॉर्ड कृष्णा के 10 अमूल्य वचन...
1. "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" (गीता, 2.47)
* "तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में नहीं।"
* इसका अर्थ है कि हमें अपने कर्तव्यों को निष्ठा से करना चाहिए, बिना किसी परिणाम की चिंता किए।
2. "जो मनुष्य मुझसे एकनिष्ठ प्रेम करता है, मैं उसे कभी नहीं छोड़ता।" (भगवद गीता, 9.22)
* भगवान कहते हैं कि जो शुद्ध प्रेम से उनकी उपासना करता है, उसे वे कभी अकेला नहीं छोड़ते।
3. "जन्म-मृत्यु के चक्र में बंधे हुए लोग ही संसार के दुःखों को अनुभव करते हैं।"
* यह वचन हमें आत्मज्ञान और मोक्ष की दिशा में मार्गदर्शन देता है।
4. "मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।"
5. "सत्यमेव जयते नानृतं।"
* "सत्य की ही विजय होती है, झूठ की नहीं।"
* यह वचन सत्य की महिमा और झूठ के पराजित होने की बात करता है।
6. "कभी भी किसी की आलोचना मत करो, क्योंकि तुम्हारा कर्म ही तुम्हारी पहचान बनाता है।"
* भगवान श्रीकृष्ण हमें यह सिखाते हैं कि दूसरों की आलोचना करने से पहले हमें अपनी आत्मा की स्थिति को देखना चाहिए।
7. "जो किसी को क्षमा करता है, वह सबसे बड़ा विजेता है।"
* क्षमा करना भगवान की विशेषता है, और यह मानव जीवन में शांति और संतुलन लाने का एक तरीका है।
8. "अपने मन की वासनाओं पर विजय पाओ, और तुम संसार में किसी भी बंधन से मुक्त हो जाओगे।"
* भगवान श्रीकृष्ण हमें यह शिक्षा देते हैं कि आत्म-नियंत्रण ही मोक्ष की ओर पहला कदम है।
9. "समस्याओं से घबराओ मत, क्योंकि जीवन में कठिनाइयाँ हमेशा हमें कुछ सीखाने के लिए आती हैं।"
* यह वचन जीवन की कठिनाइयों को एक अवसर के रूप में देखने की प्रेरणा देता है, ताकि हम उससे कुछ सीख सकें और आगे बढ़ सकें।
10. "धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में अवतार लेता हूं।"
* भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में यह स्पष्ट किया है कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब वह स्वयं प्रकट होकर उसका पुनर्निर्माण करते हैं।
इन वचनों से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और आत्मसाक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
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