माँ हमेशा माँ ही रहेगी
लघुकथा
शारदा गुप्ता सुबह से काम की तलाश में निकला प्रणव जब रात को थका-मांदा घर पहुँचा तो सभी की आँखों में एक प्रश्न था व साथ में उम्मीद भी।पापा की थकी-थकी आवाज ने पूछा-'बेटा कुछ काम बना कि नहीं?पत्नी ने उत्सुकता से आवाज में मिश्री घोलते हुए पूछा-'इंटरव्यू कैसा हुआ?' बेटे राहुल ने पूछा-'पापा कितने का पैकेज मिला है?'रूही ने पूछा-'पापा इस साल छुट्टियों में तो शिमला ले जाओगे ना?' बूढ़े दादाजी ने प्रणव को अपने पास बैठाकर सिर पर हाथ फेरा। मानो कह रहे हों -'बेटा सब ठीक हो जाएगा।' लेकिन माँ ने पानी का गिलास पकड़ाते हुए पूछा-बेटा सुबह से कुछ खाया-पिया की नहीं?प्रणव माँ की तरफ देखता हुआ सोचने लगा-'माँ हमेशा माँ ही रहेगी।