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Written By WD

हम हिन्दुस्तानी

हम हिन्दुस्तानी -
घनश्याम अग्रवाल
WDWD
एक आदमी पर सरकारी वकील ने इल्जाम लगाते हुए अदालत में कहा 'मी लॉर्ड, इस आदमी के पास राशन कार्ड नहीं है। जाहिर है इसे आटे-दाल की कोई ‍फ़िक्र नहीं है।

इसका नाम किसी वोटर लिस्ट में भी नहीं है। इसकी बातों में न सरकार से कोई शिकायत है और न ही महँगाई का रोना है। इतना ही नहीं, यह फटेहाल होकर भी सदा हँसता और मस्त रहता है। इस पर अपने आपको हिंदुस्तानी भी कहता है।

मी लॉर्ड, इसका चेहरा गौर से देखिए। चिंता की एक भी रेखा नहीं है - जरूर ये विदेशी जासूस होगा। भारत में तो हमने आज तक ऐसा आदमी देखा नहीं है। देट्‍स ऑल मी लॉर्ड।'

'तुम अपनी सफाई में कुछ कहना चाहोगे?' जज ने पूछा।

हुजूर, सरकारी वकील ने जो-जो मेरे बारे में बताया वो सच है, पर मैं विदेशी नहीं हूँ - मैं कसम खाकर कहता हूँ। मैं भारतीय हूँ। मुझे जाने दीजिए।

'अच्छा तू भारतीय है तो फिर जज साहब को भारत का राष्ट्रीय गीत गाकर सुना,' सरकारी वकील ने कहा।

वह आदमी गाने लगा... जन.... गन... मन...' उसने आधा राष्ट्रगीत गाया। आधा भूल गया।

उस पर सरकारी वकील उछलते हुए बोला - 'देखा, मी लॉर्ड, मैं न कहता था।
   मी लॉर्ड, इसका चेहरा गौर से देखिए। चिंता की एक भी रेखा नहीं है - जरूर ये विदेशी जासूस होगा। भारत में तो हमने आज तक ऐसा आदमी देखा नहीं है। देट्‍स ऑल मी लॉर्ड ...      

'ऑर्डर-ऑर्डर' जज साहब ने सरकारी वकील की बात काटते फैसला सुनाते हुए कहा - 'अदालत सरकारी वकील से इत्तेफ़ाक रखती है - उसने जो लक्षण बताए वे किसी भारतीय के नहीं हो सकते।

किंतु अंत में मुजरिम को राष्ट्रगीत का पूरा-पूरा याद न होना इससे शक होता है कि कहीं यह भारतीय तो नहीं ।'
अत: संदेह का लाभ देते हुए अदालत मुजरिम को बाइज्जत बरी करती है।

साभार : कथाबिंब