• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. कथा-सागर
Written By WD

यात्रा का सच

लघुकथा

यात्रा का सच -
विनीता तिवारी
NDND
बहुत ही वृद्ध दंपति, अति कमजोर, ट्रेन में सफर कर रहे थे। ट्रेन में कई सहयात्री आपस में उनके बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे। कोई कह रहा था इस उम्र में भी घर में बैठा नहीं जाता।

कोई कहता ऐसा नहीं बोलते हैं। बूढ़ों का मन बच्चों सा हो जाता है। उनका भी मन घूमने को करता है। कोई कह रहा था किसी से मिलने जा रहे हैं। कोई कहता तीर्थयात्रा पर जा रहे हैं।

उनकी अनुभवी आँखें सहयात्रियों की मंशा, जिज्ञासा समझ नहीं पा रही थीं। उन्होंने बहुत ही शांत स्वर में कहा - जो आप सोच रहे हैं, ऐसा कुछ नहीं है। दो बेटे हैं छ:-छ: महीने रखने का दोनों ने करार करा है ।

कल छोटे बेटे के पास छ: महीने हो गए, बड़ा लेने नहीं आया, तो छोटा बहुत समझदार है, कहा - भैया व्यस्त होंगे। लेने नहीं आए तो क्या हुआ मैं ही आप दोनों को ट्रेन में बैठा आता हूँ। पहुँच जाओगे।

साभार : लेखिका 08