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Written By ND

ट्री गार्ड

लघुकथा

Short story | ट्री गार्ड
पिलकेन्द्र अरोरा
ND
बड़ी मन्नतों से उनके घर दो पुत्रियों के बाद जब एक पुत्र का जन्म हुआ तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पुत्रजन्म पर उन्होंने घर के सामने कॉलोनी के बगीचे में एक पौधा रोपा और उसकी रक्षा के लिए ट्री गार्ड भी लगाया। इधर पौधा बढ़ता गया, उधर उनका पुत्र। बढ़ते हुए पौधे और बड़े होते पुत्र को देख वे खुश होते रहते।

कुछ साल बाद उन्होंने देखा कि पौधे की शाखाएँ बढ़ते-बढ़ते ट्री गार्ड से टकराने लगी हैं और बाहर निकलने लगी हैं। फिर एक दिन पौधा इतना बड़ा हो गया कि ट्री गार्ड टूटकर जमीन पर गिर पड़ा।

उन्हें ध्यान आया कि उन्होंने भी एक दिन अपने पिता का घर वैसे ही छोड़ दिया था, जैसे इस पौधे ने ट्री गार्ड को छोड़ दिया है। वे सिहर उठे और सोचने लगे कि कहीं एक दिन उनका इकलौता पुत्र भी इस पौधे की तरह..।