पूरा गाँव वहाँ इकट्ठा था। तमाशा चल रहा था। जादूगर जमूरे ...से पूछे जा रहा था, एक पर एक सवाल। जमूरा सब सवालों के जवाब देता जा रहा था। उसकी आँखों पर पट्टी बंधी थी। आठ-दस साल का बच्चा ही था जमूरा।
भाई साहब की जेब में क्या है? तुरंत जमूरा कहता- 'कंघी'। भाई साहब की जेब में सचमुच कंघी निकलती। तालियाँ बज जातीं।
'माताजी के पल्लू में कितने पैसे बंधे हैं?'
'दस-दस के चार नोट।' फिर तालियाँ बज उठतीं। सवाल-जवाब होते रहे, तालियाँ बजती रहीं।
तमाशा खत्म हो गया। लोग अपने-अपने ठिकाने चले। जादूगर पैसे बटोर रहा था, जमूरा खड़ा देख रहा था। अब वह किसी सवाल का जवाब देने की स्थिति में नहीं था। उसकी आँखों पर से पट्टी हट गई थी। अब वह खुद एक सवाल बना खड़ा था, चौराहे पर...।