मेरा भारत महान : एक परिचर्चा
इंदौर शहर की प्रमुख लेखिकाओं के विचार
आज हम 60वाँ गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों में हमारा संविधान कितना कारगर रह गया है इस अहम पड़ाव पर यह चिंतन का विषय है। यहाँ सोचने का मुद्दा यह भी है कि मेरा भारत महान का जयघोष करने वाले हम नागरिक अपनी कमियों का भी विश्लेषण करें कि क्या सचमुच आज हम उतने आत्मविश्वास से यह नारा बुलंद करने की स्थिति में है? इस विषय पर इंदौर लेखिका संघ की प्रमुख पदाधिकारियों से मिलकर वेबदुनिया ने विशेष परिचर्चा की। परिचर्चा के दौरान हमने पाया कि शहर की प्रबुद्ध लेखिकाएँ संविधान में संशोधन को तो एकमत से स्वीकारती हैं लेकिन मेरा भारत महान संदेश पर प्रश्नचिन्ह लगाया जाना उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं। प्रस्तुत है परिचर्चा :
अध्यक्षा एवं लेखिका मंगला रामचन्द्रन ने कहा कि हमारा संविधान आज भी ब्रिटिश संविधान से अधिक प्रभावित है। हालाँकि संविधान निर्माताओं के प्रति हमारी पूरी श्रद्धा है। लेकिन आज की परिस्थितियों में परिवर्तन आवश्यक है। आज उन्हें न्याय नहीं मिल पाता जो वास्तविक रूप से हकदार है बल्कि दुख के साथ कहना पड़ता है कि पैसे के आधार पर कानून व्यवस्था मजाक बना दी गई है। फिर भी मेरी नजर में मेरा देश महान है क्योंकि आज की पीढ़ी में एक नया जज्बा मैं देख रही हूँ। पिछली पीढ़ी ने जो भ्रष्टाचार की िवष बेल फैलाई थी आज की पीढ़ी में उसके प्रति नफरत का भाव है। आज युवा वर्ग ईमानदारी का महत्त्व स्वीकारता है। मुझे लगता है भारत असल में तो अब महान बनने वाला है। आज की युवा प्रतिभा देखकर खुशी होती है। भारत के भविष्य के प्रति आशा की रोशनी स्पष्ट दिखाई दे रही है।