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अरुण यह मधुमय देश हमारा
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जयशंकर प्रसादअरुण यह मधुमय देश हमारा, जहाँ पहँच जान क्षितिज को, मिलता एक सहाराअरुण यह मधुमय देश हमारा।सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरुशिखा मनोहरछिटका जीवन हरियाली पर जीवन-कुंकुम सारालघु सुरधनु से पंख पसारे शीतल मलय समीर सहारेउड़ते खग जिस ओर मुंह किए समझ नीड़ निज प्याराबरसाती आंखों के बादल बनते जहां भरे करुणा जललहरें टकराती अनंत की पाकर जहां किनाराहेम कुंभ ले उषा सवेरे भरती ढुलकाती सुख तेरे मदिर ऊंघते रहते जब जगकर रजनी भर तारा।