शनिवार, 21 दिसंबर 2024
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Written By रवींद्र व्यास

बारिश में भीगते पेड़ के साथ

संगत में इस बार बारिश की एक लय और कलाकृति

sangat | बारिश में भीगते पेड़ के साथ
Ravindra Vyas
WD
बारिश भी एक रहस्य है। हर बार गिरती हुई वह अपने किसी नए रहस्य के साथ प्रकट होती है। वह प्रकट होकर आपके किसी रहस्य से जुड़ जाती है आप महसूस करने लगते हैं कि आपके ही भीतर छिपे किसी रहस्य को वह बारिश प्रकट कर रही है।

यह बारिश का जादू है कि वह अपनी लय में, अपने किसी राग में जीवन के कई सारे रहस्यों को थामे रखती है। वह जिन पर गिरती है उन्हें भी वह रहस्यमय बना देती है। यदि आप बारिश को उसकी लय के साथ, उसके विलंबित खयाल में डूबकर उसके साथ चलेंगे तो हो सकता है कि वह अपना कोई रहस्य इस तरह से खोले की आपके भीतर छिपे किसी रहस्य को प्रकट कर दे।

आप सहसा चौंके और पाएँ कि अरे यह क्या। बारिश के बहुत ही कोमल हाथ होते हैं। वह आपको हमेशा छूने की कोशिश करती है। यदि आप हड़बड़ी हैं तो उसके हाथों का स्पर्श आप शायद महसूस नहीं कर सकें। लेकिन यदि आप उसके साथ हो लें, उसके राग को सुनते हुए उसके साथ गुनगुना लगें या चुपचाप सिर्फ भीगते ही रहें तो वह आपको अपने रहस्य के दरवाजे खोलकर अंदर आने का न्यौता देती है।

यह एक दिन था जब बारिश हो रही थी। बारिश में भीगता कोई पेड़ एक अजीब सा अनुभव दे गया। वह खड़ा था सड़क किनारे और आसपास दूर तक कोई दूसरा पेड़ या झाड़ी तक नहीं थी। बारिश हो रही थी। मूसलधार बारिश हो रही थी। और वह अकेला खड़ा पेड़ भीग रहा था। चुपचाप। जैसे किसी दुःख में निराश और हताश। लग रहा था जैसे सिर झुकाए सिसकियाँ ले रहा हो।

बहुत तेज बारिश में वह दिख गया और वह इसलिए भी दिख गया कि वह अकेला खड़ा था और बारिश हो रही थी। बारिश से बचने के लिए मैं उसके नीचे जाकर खड़ा हा गया।

यह बारिश का रहस्य है कि वह हमारे लिए इस तरह से अपने दरवाजे खोलती है कि हम अपने ही भीतर जाकर अपने ही अकेलेपन से मिलते हैं। बारिश हमारी हम से ही मुलाकात कराती है।
मैं बारिश की तेज बूँदों से बचने के लिए ही उस सिर झुकाए पेड़ के नीचे खड़ा था। मैंने अपनी गाड़ी खड़ी की और पेड़ के तने से टिककर खड़ा हो गया। मैं ध्यान दिया कि पेड़ के नीचे खड़े होकर बारिश की आवाज को सुनना विरल अनुभव है। यह आवाज बिलकुल अलग होती है। कुछ अनकहा कहती हुई।

मैं उस बारिश की आवाज को ध्यान से सुनने लगा। उस आवाज के जरिये बारिश ने मुझमें एक दरवाजा खोल दिया। मैं अपने अतीत में चला गया और मुझे लगा कि यह पेड़ नहीं मेरे पिता हैं। उस बारिश ने एक दरवाजा खोलकर मुझे पिता की याद की ओर धकेल दिया।

अब मैं पिता की याद में भीग रहा था। मैं उस बारिश को भूल चुका था जिसमें पेड़ भीग रहा था। मैं अपने जीवन की एक और ही बारिश में भीग रहा था। पिता के अकेलेपन को समझने का यह एक और मौका था।

बारिश में भीगता पेड़ हमेशा हमें किसी के अकेलेपन की याद दिलाता है। और हम भीगते हुए महसूस करते हैं कि हम खुद भी कितने अकेले हैं। यह बारिश का रहस्य है कि वह हमारे लिए इस तरह से अपने दरवाजे खोलती है कि हम अपने ही भीतर जाकर अपने ही अकेलेपन से मिलते हैं। बारिश हमारी हम से ही मुलाकात कराती है।