गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. निबंध
  4. Essay on Diwali Festival
Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025 (11:14 IST)

Diwali Essay: प्रकाश और समृद्धि के महापर्व दीपावली पर हिन्दी में बेहतरीन निबंध

Diwali festival Essay
Deepawali festival Essay: भारतीय संस्कृति में त्योहारों का विशेष स्थान है, और उनमें से दीपावली का महत्व सर्वोपरि है। यह पर्व न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। दीपावली का शाब्दिक अर्थ है 'दीपों की पंक्ति' ('दीप' अर्थात दीपक, और 'आवली' अर्थात पंक्ति)। इस दिन हर घर और गली को लाखों दीयों की रोशनी से जगमगाया जाता है, जो हमारे जीवन से अंधकार को दूर करने का संदेश देते हैं।ALSO READ: Dhanteras 2025: सुख-समृद्धि और आरोग्य का पावन पर्व धनतेरस, पढ़ें हिन्दी में रोचक निबंध
 
पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व:- दीपावली पर्व विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में अलग-अलग कारणों से महत्वपूर्ण है, लेकिन हिन्दू धर्म में इसके तीन मुख्य कारण हैं:
 
1. श्री राम की घर वापसी: यह सबसे प्रमुख मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके और रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने अपने प्रिय राजा के स्वागत में घी के दीपक जलाए थे, तभी से यह 'रोशनी का त्योहार' बन गया।
 
2. महालक्ष्मी का प्राकट्य: दीपावली की रात को ही देवी महालक्ष्मी क्षीरसागर (दूध के सागर) से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस रात को देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा धन, समृद्धि और सुख-शांति के लिए की जाती है।
 
3. नरकासुर वध: दीपावली से एक दिन पहले, नरक चतुर्दशी को भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, और इसी विजय के उपलक्ष्य में अगले दिन (दीपावली) उत्सव मनाया गया।
 
दीपावली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि यह पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, निराशा पर आशा और बुराई पर अच्छाई की शाश्वत विजय का प्रतीक है।

पांच दिवसीय महापर्व का स्वरूप:- दीपावली का उत्सव वास्तव में पांच दिनों का होता है, जिनमें हर दिन का अपना एक विशेष महत्व है:
 
1. धनतेरस (धन त्रयोदशी): स्वास्थ्य और धन के देवता धन्वंतरि, कुबेर और लक्ष्मी की पूजा।
 
2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली/रूप चौदस): यमराज के लिए दीपदान और सौंदर्य प्राप्ति के लिए अभ्यंग स्नान।
 
3. दीपावली (मुख्य पर्व): प्रदोष काल में महालक्ष्मी और गणेश जी की पूजा।
 
4. गोवर्धन पूजा (अन्नकूट): भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की खुशी में अन्नकूट और गौ-पूजा।
 
5. भाई दूज (यम द्वितीया): भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक त्योहार।
 
पूजा और उत्सव की विधि:- दीपावली की शाम को घर की साफ-सफाई के बाद मुख्य पूजा की तैयारी की जाती है। शुभ मुहूर्त में, एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गणेश जी, महालक्ष्मी, और कुबेर जी को स्थापित किया जाता है। विधि-विधान से पूजा, मंत्रोच्चार और आरती की जाती है। पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है। इसके साथ ही, घर के हर कोने, छत और आंगन में मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं। लोग नए वस्त्र पहनते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और आतिशबाजी करते हैं, हालांकि पर्यावरण संरक्षण के लिए आजकल हरित पटाखों के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है।
 
उपसंहार: दीपावली का पर्व केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक मेल-जोल, परिवार के प्रति समर्पण और एक नए, समृद्ध जीवन की शुरुआत का संदेश देता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि जिस प्रकार एक अकेला दीपक हजारों दीपकों को प्रज्ज्वलित कर सकता है, उसी प्रकार ज्ञान और सद्भावना का एक छोटा प्रयास भी पूरे समाज के अंधकार को दूर कर सकता है। दीपावली हर भारतीय के मन में आशा और उत्साह का संचार करती है।ALSO READ: Dhanteras ki kahani in hindi: धनतेरस की कहानी क्या है हिंदी में

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।