बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. साहित्य आलेख
  4. Painter Story writer Shri Prabhu Joshi Jamini Roy Art Exhibition Indore
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 11 मार्च 2022 (10:56 IST)

चित्रकार- कथाकार श्री प्रभु जोशी की स्मृति में दो दिवसीय कला अनुष्ठान का भव्य शुभारम्भ

श्री जामिनी रॉय की ओरिजिनल ड्रॉइंग्स पहली बार देखकर अभिभूत हुए कलाप्रेमी, बारह वर्ष के शोध के बाद तैयार कॉफी टेबल बुक का विमोचन संपन्न

चित्रकार- कथाकार श्री प्रभु जोशी की स्मृति में दो दिवसीय कला अनुष्ठान का भव्य शुभारम्भ - Painter Story writer Shri Prabhu Joshi Jamini Roy Art Exhibition Indore
Jamini Roy Art Exhibition Indore
इंदौर। देश के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में शामिल पद्मभूषण स्व. जामिनी रॉय की ओरिजिनल ड्रॉइंग्स को पहली बार शहर में देखकर शहर के कलाप्रेमी अभिभूत हो गए। कैनरीज़ फाइन आर्ट्स गैलरी में स्टेट प्रेस क्लब के आयोजन में श्री जामिनी रॉय पर वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश मेहता द्वारा तैयार कॉफ़ी टेबल बुक- "जामिनी रॉय : रिट्रेसिंग द लाइन्स" के विमोचन के साथ यह दो दिवसीय प्रदर्शनी आयोजित हुई थी। शहर के वरिष्ठ चित्रकार, साहित्यकार एवं पत्रकार श्री प्रभु जोशी जी की स्मृति को समर्पित इस आयोजन के प्रति शहर के कलाजगत का उत्साह देखते बनता था।
 
 
श्री जामिनी रॉय के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चित्रकूट आर्ट गैलरी, कोलकाता द्वारा प्रकाशित शोधपरक कॉफी टेबल "जामिनि राय : रिट्रेसिंग द लाइन्स" का विमोचन सांसद श्री शंकर लालवानी मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर पुस्तक की फ़ोटोग्राफ़ी एवं निर्मिति करने वाले वरिष्ठ फ़ोटो पत्रकार श्री उमेश मेहता, वरिष्ठ चित्रकार श्री ईश्वरी रावल, वरिष्ठ कथाकार श्री प्रकाश कांत, वरिष्ठ चित्रकार श्री योगेंद्र सेठी, स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री प्रवीण खारीवाल एवं कैनरीज़ फाइन आर्ट्स गैलरी के क्यूरेटर श्री आलोक बाजपेयी मंचासीन थे।
 
 
अपने उद्बोधन में श्री योगेंद्र सेठी ने कहा कि श्री जामिनि रॉय की कलाकार बतौर देशभक्ति की और देश की प्राचीन कला परम्पराओं को जीवंत करने में उनके योगदान के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि एक ऐसा कलाकार जिसने बाक़ायदा पाश्चात्य कला शैली में औपचारिक शिक्षा हासिल की, उसमें महारत हासिल की और फिर प्रसिद्धि हासिल की। वेस्टर्न आर्ट स्टाइल में श्री जामिनि राय बड़ा नाम बन चुके थे कि तभी बंगाल में स्वदेशी आंदोलन की गूंज प्रारम्भ हुई और राष्ट्रवादी आंदोलन से दिल से जुड़ाव महसूस करने के कारण उन्होंने वेस्टर्न आर्ट स्टाइल छोड़ दी। वे अपनी जड़ों की ओर, लोककला की, आदिवासी कला की ओर लौटे। कालीघाट पेंटिंग को उन्होंने पूरी दुनिया में प्रसिद्द कर दिया। एक ऐसा कलाकार जिसे 1938 में वाइसरॉय ने सम्मानित किया हो, खुद को "पटुआ" कहलाने में गर्व महसूस करता रहा।
 
 
वरिष्ठ चित्रकार श्री ईश्वरी रावल ने कहा कि श्री जामिनि राय देश के महानतम चित्रकारों में शामिल होने के साथ बीसवीं शताब्दी के महत्‍वपूर्ण आधुनिकतावादी कलाकार थे। पाश्चात्य शैली की कला में अपना मुक़ाम बनाने के बाद उनके समय की कला परम्पराओं से अलग अपनी विशिष्ट शैली लोक कला और आदिवासी कला का ध्यान पूर्वक अध्ययन कर तैयार की, जिसमें कालीघाट पेटिंग शैली ने उन्हें सबसे ज़्यादा प्रभावित किया। वे महान चित्रकार अबनिन्द्रनाथ टैगोर के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में एक थे। उन्होंने प्रदर्शनी में शामिल 25 ड्राइंग्स को विलक्षण एवं भारतीय कला जगत की अमूल्य धरोहर बताया। श्री ईश्वरी रावल ने लैंडस्केप्स के क्षेत्र में दुनिया भर में मशहूर शहर के चित्रकार श्री श्रेणिक जैन की कला शैली की कई महत्वपूर्ण बारीकियां समझाईं।
Jamini Roy Art Exhibition
उल्लेखनीय है कि श्री श्रेणिक जैन को इस समारोह में "लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड" दिया जाना था, लेकिन स्वास्थ्य ख़राब होने से वे पधार ना सके और उन्होंने वीडियो सन्देश के माध्यम से संम्मान हेतु आभार ज्ञापित किया। यह अवार्ड अब उन्हें निवास स्थान पर प्रदान किया जायेगा।
 
वरिष्ठ कथाकार-उपन्यासकार श्री प्रकाश कांत ने शहर के सम्मानित चित्रकार- लेखक एवं पत्रकार श्री प्रभु जोशी को याद करते हुए उन्हें मालवा संस्कृति का श्रेष्ठ चितेरा बताया, जिसने कागज़ और कैनवास दोनों पर ही मालवा संस्कृति को विश्व फ़लक पर रखा। उन्होंने श्री प्रभु जोशी की अनेक विधाओं में महारत को रेखांकित करने के साथ उनसे जुडीं अनेक रोचक बातें भी बताईं।
 
"जामिनि राय : रिट्रेसिंग द लाइन्स" के फोटोग्राफर एवं प्रोड्यूसर श्री उमेश मेहता ने इस पुस्तक के तैयार होने में लगे बारह वर्ष के सफर एवं शोध के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में कई दुर्लभ चित्र भी शामिल हैं। कई चित्रों के सफर और बंगाल आर्ट की विशेषताओं पर भी उन्होंने चर्चा की।
 
बहुविध संस्कृति कर्मी श्री आलोक बाजपेयी ने संचालन करते हुए कहा कि जामिनि राय की ओरिजिनल ड्रॉइंग्स को देखना किसी भी कलाप्रेमी के लिए यादगार अनुभव है। उस समय, एक हाइट पर पहुंचने और अंग्रेज़ी शासन द्वारा उनके काम पसंद किए जाने के बाद भी, जब उनकी कला प्रदर्शनी अन्य पाश्चात्य देशों में लगाई जा रहीं थीं, तब अपनी शैली राष्ट्रवाद के लिए बदलना छोटी बात या घटना नहीं है।
 
 
भारतीय पारम्परिक लोककला को जोड़कर उन्होंने मेरी नज़र में वही भूमिका निबाही सड़कों पर असहयोग आंदोलन के क्रांतिकारी निभाते रहे होंगे। उनके इस ट्रांसफॉर्मेशन को भारतीय कला इतिहास की बड़ी घटना मानना चाहिए और आज़ादी के आंदोलन में कलाकारों के योगदान का प्रतीक भी। श्री जामिनि राय कलाकार की शक्ति को भी दर्शाते हैं और लगातार परिवर्तनों के लिए तैयार रहने की क्षमता को भी। साथ ही ये सन्देश भी देते हैं कि कलाकार यदि अपनी शैली विकसित कर अच्छा रचे तो वह कालजयी हो जाता हैं। श्री जामिनि राय वास्तव में बियॉन्ड टाइम हैं। उनके चित्रों को देखते हुए लगता है कि हम उनके समय में पहुंच गए हैं। उनकी लाइन्स को देखना, उसमें डूबना वास्तव में अलग ही अनुभव है। इन कलाकृतियों के आकार पर मत जाइये, इनके मायने बहुत बड़े हैं, इनसे जुडी फीलिंग्स बहुत बड़ी है। ये इस कालखंड से आज़ादी के पहले लौटने की यात्रा है, एक वेस्टर्न स्टाइल आर्टिस्ट के पुनः पटुआ बनने की यात्रा है।
 
 
स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री प्रवीण खारीवाल ने कहा कि इन ड्राइंग्स से शहर के कलाप्रेमी एवं विद्यार्थी उनकी ड्राइंग्स को देखकर उनकी शैली और कला प्रक्रिया को बेहतर समझ सकेंगे। 11 मार्च को भी यह प्रदर्शनी सभी कला प्रेमियों के लिए दोपहर बारह बजे से शाम सात बजे तक खुली रहेगी। निःशुल्क प्रवेश की इस प्रदर्शनी में सभी कलाप्रेमी सादर आमंत्रित है। इससे पूर्व श्री प्रवीण खारीवाल, सुश्री विम्मी मनोज, श्री संजय रोकड़े, सुश्री सोनाली यादव, श्रीमती शुभा वैद्य, सुश्री अपर्णा बिदासरिया एवं स्टेट प्रेस क्लब के पदाधिकरियों ने अतिथियों का स्वागत कर स्मृति चिन्ह भेंट किये। आभार प्रदर्शन डॉ. आर.के. जैन ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ चित्रकार श्री वसंत चिंचवड़कर एवं वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा का विशेष सम्मान किया गया।
ये भी पढ़ें
Health Tips : क्‍या आप भी सामान्य रोग से परेशान हो गए हैं, कहीं इस विटामिन की कमी तो नहीं