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Last Updated : बुधवार, 24 जनवरी 2024 (19:00 IST)

लिखते रहिए, लिखने का कोई विकल्‍प नहीं, नोबेल विजेता गुरनाह की लेखकों को सलाह

abdul razak gunrah
कोलकाता,  तमाम तरह के राईटर्स ब्‍लॉक से जूझते और बार बार लेखन से दूर होते नए लेखकों को नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुलरजाक गुरनाह ने सलाह दी है। गुरनाह ने कहा कि युवा लेखकों को लिखना जारी रखना चाहिए और अपने विचारों को कलमबद्ध करने की इच्छा होनी चाहिए।

तंजानिया में जन्मे प्रसिद्ध ब्रिटिश उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह ने कहा कि एक अकादमिक और एक लेखक की कार्य दिनचर्या के बीच कोई वास्तविक टकराव नहीं होता और इसमें संतुलन बनाया जा सकता है। उन्हें साहित्य के लिए 2021 का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

गुरनाह मंगलवार को यहां 12वें टाटा स्टील कोलकाता साहित्य महोत्सव में सम्मानित अतिथि के रूप में एक परिचर्चा में भाग ले रहे थे। वह केंट विश्वविद्यालय में अंग्रेजी और उत्तर औपनिवेशिक साहित्य के एमिरिटस प्रोफेसर हैं।

उन्होंने युवा लेखकों को सलाह देते हुए कहा, ‘हिम्मत मत हारिए। बस लिखते रहिए। अपने विचारों को कलमबद्ध करने की इच्छा होनी चाहिए।’

यह पूछे जाने पर कि जब उन्हें शोध प्रबंध लिखना होता है और किसी साहित्यिक कृति पर काम करना होता है तो क्या दोनों के बीच कोई द्वंद्व होता है तो गुरनाह ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अकादमिक जगत और साहित्यिक कार्यों के प्रबंधन के बीच कोई वास्तविक (टकराव) है। दोनों को समायोजित किया जा सकता है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस समय काम करते हैं।’

बता दें कि गुरनाह ने पैराडाइज (1994), बाय द सी (2001), डेजर्टन (2005), आफ्टरलाइव्स (2020) जैसे युगांतकारी गद्य लिखे हैं।

पांच दिवसीय साहित्यिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने वहां मौजूद गुरनाह से कहा, ‘हम आपका स्वागत करते हैं, हम बंगाल के लोगों की ओर से आपके प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं।’

पांच दिवसीय साहित्यिक सम्मेलन का आयोजन भव्य विक्टोरिया मेमोरियल के विशाल प्रांगण में हो रहा है जिसकी पृष्ठभूमि में सफेद इमारत है। इस दौरान विश्व भर के साहित्य और कला जगत के प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी बात रखेंगे।
Edited By : Navin Rangiyal/ (भाषा)