मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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...और जोड़ा बिछड़ गया

...और जोड़ा बिछ्ड़ गया। Amritlaal Vegad - Amritlaal Vegad
नर्मदा पुत्र श्री अमृतलालजी बेगड़ नहीं रहे। कल (शु्क्रवार को) यह खबर मिली तो मानस पटल पर अमृतलालजी से हुई भेंट स्मरण आ गई। मेरी उनसे पहली और आखिरी मुलाकात नदी महोत्सव के दौरान हुई थी। लगभग आधे घंटे की इस मुलाकात में उनका विनम्र स्वभाव, सरल व सादा व्यक्तित्व एवं नर्मदा के प्रति उनका समर्पण मन को मोहित कर गया।
उन्होंने नर्मदा संरक्षण एवं नदी संरक्षण के क्षेत्र में बहुत कार्य किया है। मां नर्मदा पर उनकी कृति 'सौंदर्य की नदी नर्मदा' अद्भुत है। अमृतलालजी का मानना था कि नर्मदा जैसी सुन्दर नदी विश्व में दूसरी नहीं है। वे अक्सर अपनी धर्मपत्नी कांताजी के साथ ही दिखाई देते थे।
 
कांताजी ने उनके इस महाभियान में सच्चे जीवनसाथी के सदृश उनका हर कदम पर साथ निभाया। वे भी अत्यंत सौम्य व सरल महिला हैं। नदी महोत्सव उन दोनों को देखकर अक्सर हंसों का जोड़ा याद आ जाता है किंतु कल उस जोड़े का एक हंस उड़ गया अनंत आकाश में या यूं कहें कि नर्मदा के अविरल प्रवाह की भांति उनके इस अनन्य साधक ने भी इस नश्वर जीवन का एक किनारा छोड़ दूसरे किनारे के लिए महाप्रयाण कर दिया।
 
उनके चरणों में हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि....! ॐ शान्ति!

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-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क: [email protected]