रहते भी नर्मदा किनारे प्यासे फिरते मारे मारे
भटकते दूर से थके हारे , आये दर्शन को माता तुम्हारे
भक्ति की भावना में नहाये , मन में आशा की ज्योति जगाये
सपनों की एक दुनियां सजाये , आये मां ! हम हैं मंदिर के द्वारे
चुन के विश्वास के फूल , लाके हल्दी , अक्षत औ चंदन बना के
थाली पूजा की पावन सजाके , पूजने को चरण मां तुम्हारे
सब तरफ जगमगा रही ज्योति , बड़ी अद्भुत है वैभव विभूति
पाता सब कुछ कृपा जिस पे होती , चाहिये हमें भी माँ सहारे
जग में जाहिर है करुणा तुम्हारी , भीड़ भक्तों की द्वारे है भारी
पूजा स्वीकार हो मां हमारी , हम भी आये हैं माँ बन भिखारी
माँ मुरादें हो अपनी पूरी , हम आये हैं झोली पसारे
हरी ही हरी होये किस्मत , दिवाले जैसे जवारे