मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. आलेख
  4. Amritlaal Vegad passes away
Written By

अब कौन कहेगा 'नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो', नहीं रहे नर्मदा परिक्रमावासी अमृतलाल वेगड़

अब कौन कहेगा 'नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो', नहीं रहे नर्मदा परिक्रमावासी अमृतलाल वेगड़ - Amritlaal Vegad passes away
नर्मदा परिक्रमावासी अमृतलाल वेगड़ का जबलपुर में निधन
 
नर्मदा नदी को उन्होंने रोम रोम से प्यार किया। उनकी आत्मा में नर्मदा की कलकल छलछल धारा बहती थीं। उनकी लेखनी से निकल कर नर्मदा ने भी जाने कितने पाठकों का मन भिगोया और जाने कितनों को नर्मदा की परिक्रमा के लिए प्रेरित किया।

'सौंदर्य की नदी नर्मदा' 'अमृतस्य नर्मदा', 'तीरे-तीरे नर्मदा' 'नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो'.. उनकी पुस्तकों के शीर्षक बोलते थे कि नर्मदा नदी से किस कदर प्यार है उन्हें...मां नर्मदा के यह मानस पुत्र नर्मदा परिक्रमावासी अमृतलाल वेगड़ अपनी यशस्वी और ऊर्जस्वी लेखनी के साथ आज खामोश हो गए।  
 
नर्मदा परिक्रमावासी अमृतलाल वेगड़ का 6 जुलाई, शुक्रवार 10.15 बजे जबलपुर में निधन हो गया। वे 90 साल के थे। अमृतलाल वेगड़ को अस्थमा की समस्या थी, कुछ समय पहले उनका प्रोस्टेट का ऑपरेशन भी हुआ था, उसके बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया। वे अपने पीछे पत्नी कांता वेगड़ और 5 पुत्र शरद, दिलीप, नीरज, अमित, राजीव वेगड़ को शोकाकुल छोड़ गए हैं। वेगड़ जी की अंतिम यात्रा उनके निवास नेपियर टाउन से शाम 4 बजे ग्वारीघाट जाएगी।
अमृतलाल वेगड़ का जन्म 3 अक्टूबर 1928 में जबलपुर में हुआ। 1948 से 1953 तक शांति निकेतन में उन्होंने कला का अध्ययन किया। वेगड़ जी ने खंडों में नर्मदा की पूरी परिक्रमा की। उन्होंने नर्मदा पदयात्रा वृत्तांत की तीन पुस्तकें लिखीं, जो हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगला अंग्रेजी और संस्कृत में प्रकाशित हुई हैं।
 
वे गुजराती और हिन्दी में साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं महापडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हुए थे। अमृतलाल वेगड़ ने नर्मदा और सहायक नदियों की 4000 किमी. से भी अधिक की पदयात्रा की। वे पहली बार वर्ष 1977 में 50 वर्ष की अवस्था में नर्मदा की पदयात्रा में निकले और 82 वर्ष की आयु तक इसे जारी रखा। 'सौंदर्य की नदी नर्मदा' उनकी प्रसिद्ध  पुस्तक है। 'अमृतस्य नर्मदा' और 'तीरे-तीरे नर्मदा' तीन पुस्तकें हैं। चौथी 'नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो' वर्ष 2015 में प्रकाशित हुई। 

वे कहते थे, 'कोई वादक बजाने से पहले देर तक अपने साज का सुर मिलाता है, उसी प्रकार इस जनम में तो हम नर्मदा परिक्रमा का सुर ही मिलाते रहे। परिक्रमा तो अगले जनम से करेंगे।"

ये भी पढ़ें
कपूर के तेल के जादुई फायदे, सेहत और सौंदर्य लाभ