'अकाल में उत्सव' पर विचार संगोष्ठी आयोजन
कथाकार पंकज सुबीर के बहु प्रशंसित उपन्यास 'अकाल में उत्सव' पर केन्द्रित विचार संगोष्ठी का आयोजन स्पंदन द्वारा भोपाल के हिन्दी भवन स्थित महादेवी वर्मा सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उपन्यास के दूसरे संस्करण का विमोचन भी किया गया। विचार संगोष्ठी की अध्यक्षता हिन्दी के वरिष्ठ कहानीकार, उपन्यासकार श्री महेश कटारे ने की। उपन्यास पर वरिष्ठ पत्रकार श्री ब्रजेश राजपूत, तथा प्रशासनिक अधिकारी द्वय श्री राजेश मिश्रा तथा श्री समीर यादव ने अपना वक्तव्य दिया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्पंदन के अध्यक्ष डॉ. शिरीष शर्मा, सचिव गायत्री गौड़ तथा संयोजक उर्मिला शिरीष ने पुष्प गुच्छ भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। तत्पचश्चात उपन्यास अकाल में उत्सव के दूसरे संस्करण का लोकार्पण किया गया। शिवना प्रकाशन के प्रकाशन शहरयार खान ने अतिथियों के हाथों उपन्यास का विमोचन करवाया। उपन्यास पर चर्चा की शुरुआत करते हुए श्री समीर यादव ने कहा कि उपन्यास की सफलता से यह बात सिद्ध होती है कि आज भी पाठक गांव की कहानियां पढ़ना चाहते हैं। गांव से हम सब किसी न किसी रूप में जुड़े रहे हैं।
यह उपन्यास इस मायने में महत्तवपूर्ण है कि इसने वर्तमान समय की एक बड़ी समस्या की न केवल पड़ताल की है बल्कि उसके मूल में जाने की और उसका हल तलाशने की भी कोशिश की है।पंकज सुबीर ने बड़े विश्वसनीय तरीके से किसान के जीवन का पूरा चित्र प्रस्तुत कर दिया है। और उतने ही अच्छे से प्रशासनिक व्यवस्था की भी कलई खोली है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्पंदन की संयोजक डॉ. उर्मिला शिरीष ने जानकारी दी कि किसानों की समस्या पर केंद्रित पंकज सुबीर का यह उपन्यास इस वर्ष की सबसे चर्चित कृति है। हिन्दी के सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने न केवल इसे पसंद किया है, बल्कि अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया भी व्यक्त की है। जनवरी में नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में उपन्यास का पहला संस्करण आया था तथा चार माह के अंदर प्रथम संस्करण के समाप्त होने का रिकार्ड इस उपन्यास ने रचा है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के साहित्यकार, पत्रकार तथा बुद्धिजीवी उपस्थित थे।