मेरा देश तुम्हारा देश
भारत-पाकिस्तान के इतिहास का अध्ययन
पुस्तक के बारे में अतीत की साझेदारी के बावजूद भारत और पाकिस्तान के स्कूलों में स्वाधीनता संघर्ष का इतिहास बिल्कुल अलग ढंग से पढ़ाया जाता है। इतिहास की पढ़ाई दो परस्पर विरोधी राष्ट्रीय अस्मिताओं का निर्माण करती है। कुछ घटनाओं पर जोर देकर और कुछ को छोड़कर स्कूली पाठ्य-पुस्तकें किस तरह दो अलग आख्यान रचती हैं, प्रो. कृष्णकुमार की यह किताब इसी प्रश्न की गहराइयों में जाकर बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करने वाले सांस्कृतिक और विचारधारा संबंधी आग्रहों की पड़ताल करती है।पुस्तक के चुनिंदा अंशमेरे विद्यार्थी अक्सर मुझसे अचरज भरा यह विलक्षण सवाल पूछते हैं कि यदि पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है तो फिर भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कैसे हो सकता है? इस सवाल के पीछे गणितीय तर्क यह है कि अगर मुसलमानों ने 1947 में मुस्लिम राष्ट्र के नाम पर विभाजन किया तो बचे हुए भाग को हिन्दू राष्ट्र होना चाहिए। (
आम अनुभूतियों के चौखटे से) *** यहाँ एक बिंदु यह है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में माध्यमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर आजादी की कहानी और उन्नीसवीं शताब्दी के सुधार आंदोलनों के प्रारंभिक जिक्र के संदर्भ में इतिहास का अधिगम होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक लेखकों ने छोटे बच्चों की अमूर्तता को ग्रहण करने में आने वाली संज्ञानात्मक कठिनाइयों का जानबूझकर फायदा उठाया है। ('
जागृति और घबराहट' से)*** एक भी पाकिस्तानी पाठ्य-पुस्तक यह जिक्र नहीं करती कि गाँधी का मुख्य इरादा किताबी और परीक्षा केंद्रित औपनिवेशिक शिक्षा का विकल्प ढूँढना था। और भी रोचक तथ्य यह है कि इस बात का कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता कि वर्धा योजना के केंद्र में बच्चों की विभिन्न विषयों की पढ़ाई को हाथ के हुनर के प्रशिक्षण से जोड़कर एकीकृत करने का विचार था। बेशक, यह सही है कि भारतीय पाठ्यपुस्तकें भी गाँधी की योजना के इस पहलू का जिक्र नहीं करतीं और यह सुझाती है कि उसका कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है। ('
बुनियादी शिक्षा' से)*** समीक्षकीय टिप्पणी मेरा देश, तुम्हारा देश यह उम्मीद जगाने वाली किताब है कि भारत और पाकिस्तान अपनी आजादी के साठ वर्ष बाद विभाजन की पीड़ादायी स्मृति से उबरकर शांति का रास्ता खोज सकते हैं। प्रख्यात साहित्यकार सुमित सरकार ने इस पुस्तक को अपनी तरह के पहले कदम की संज्ञा दी है। मेरा देश तुम्हारा देशभारत-पाकिस्तान के इतिहास की पुस्तकों का विश्लेषणात्मक अध्ययनलेखक : कृष्णकुमार प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन पृष्ठ : 238 मूल्य : 300 रुपए