Train of my thoughts: स्कूल असाइनमेंट के दौरान ऐसी ‘कविताएं’ रची कि 17 साल के वंश लेखक ही बन गए
- वंश को स्कूल असाइनमेंट अच्छे नहीं लगते थे, वे असाइनमेंट की जगह कविताएं लिख देते थे
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लिखना भी नहीं था पसंद, लेकिन बाद में इतना अच्छा लिखा कि बन गया पोएट्री कलेक्शन
सत्रह साल एक ऐसी उम्र है, जिसमें बच्चे अपने स्कूल का होमवर्क करते हैं और तमाम तरह की स्कूल की और अकेडमिक गतिविधियों में उलझे रहते हैं। लेकिन अगर इस उम्र में कोई बच्चा कविताएं लिखना शुरू कर दे और उसका कविता संकलन भी प्रकाशित हो जाए तो इसे आप क्या कहेंगे।
वंश गांधी एक ऐसा ही नाम है। वे महज 17 साल के हैं और हाल ही में उनका लिखा पोएट्री कलेक्शन
ट्रेन ऑफ माय थॉट्स प्रकाशित हुआ है।
बेहद दिलचस्प बात है कि वंश को लिखना बिल्कुल पसंद नहीं था, जब भी स्कूल से उन्हें कोई असाइनमेंट मिलता था तो असाइनमेंट के बजाए वे उस विषय पर कविता लिख दिया करते थे। जो भी विषय उन्हें मिलता था, वंश उस पर वे कविता लिख देते थे। लेकिन जब ये कविताएं उनके टीचर पढ़ते थे तो वे हैरान रह जाते थे कि वंश इतनी अच्छी कविताएं लिख लेते हैं। टीचर्स को उनका यह जॉनर पसंद आता था।
वंश की मां एकता गांधी बताती हैं कि जब वंश के बारे में यह बात उन्हें पता चली तो घर में सभी काफी खुश हुए और उन्होंने वंश को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसका नतीजा यह हुआ कि वंश ने अलग-अलग विषयों पर कई कविताएं लिखीं। उनकी कविताओं में सटायर भी और हास्य भी।
इन कविताओं में साहित्य भी मिलता है तो वहीं करंट अफेयर और ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र भी है। अपने छह साल के स्कूल समय के दौरान वंश ने कई तरह की कविताएं लिखीं।
खास बात है कि वंश म्युजिक के दीवाने हैं, उन्हें ट्रेन में सफर करना बेहद अच्छा लगता है। शायद यही वजह है कि उन्होंने अपनी पहली किताब का नाम
ट्रेन ऑफ माय थॉट्स रखा है।
वंश फिलहाल दिल्ली में हैं और अपने बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। नोशन प्रेस पब्लिकेशन से उनकी अंग्रेजी कविताओं का यह पहला कलेक्शन प्रकाशित हुआ है। अमेजन पर यह किताब उपलब्ध है।