यह बात तो आप अच्छी तरह से जानते हैं कि जैसी परिस्थितियां होती हैं, आपका रवैया उसके अनुरूप होता है.... और आपका दिमाग भी उसी दिशा में काम करता है। जब भी आप बेहद खुश होते हैं, तो आप बेहतर और उर्जावान महसूस करते हैं। लेकिन यदि आप दुखी और उदास होते हैं, तो आपकी उर्जा कम हो जाती है। साथ ही आपको सिरदर्द तनाव जैसी समस्याएं घेर लेती है, जिससे आपके स्वास्थ्य पर बेहद बुरा असर पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि आपके पसंदीदा सीरियल्स और उनके कलाकार भी आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं ?
जी हां, भले ही आपको यह बात थोड़ी अजीब लगे, लेकिन बात बिल्कुल सच है। अच्छी और बुरी परिस्थितियां, सुख और दुख के रूप में हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालतीं है, अगर सोच कर देखें कि यह स्थिति निर्मित कैसे होती है, तो उत्तर में हम पाएंगे कि हमारे आसपास के माहौल के साथ हमारा दिमाग भावनात्मक रूप से जुड़ जाता है, और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया देता है। उदाहरण के लिए यदि हमारे आसपास सभी लोग खुश हैं, और प्रसन्नता से भरा वातावरण है, तो हम भी प्रसन्न होते हैं, और यदि आसपास दुख का माहौल है, तो हम दुखी हो जाते हैं। इन दोनों ही मनोस्थिति का हमारे मन और शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
इसी तरह हमारी रोज की दिनचर्या में शामिल टीवी सीरियल्स और उनके किरदार हमारे स्वाथ्य पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। जी हां, हम टीवी सीरियल के किरदारों से मानसिक और भावनात्मक रूप से इस कदर जुड़े होते हैं, कि उनकी खुशी में खुश हो जाते हैं, और उनके दुख के वक्त खुद को भी ग़म के दरिया में डुबो देते हैं। हम अप्रत्यक्ष तौर पर खुद को उनकी जगह रखकर देखते हैं, और खुद को मानसिक रूप से क्षति पहुंचाते हैं। यह जानते हुए भी कि, वे किरदार वास्तविक नहीं है, और उनकी भावनाएं अभिनय मात्र हैं, हम उन किरदारों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। लेकिन इस जुड़ाव का असर हमारे मन-मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से असर डालता है।जब हम कोई फिल्म देखने जाते हैं तब भी यही होता है।कई लोग इमोश्नल सीन के आने पर रोने लगते हैं।
दरअसल जब भी हम टीवी पर किरदारों को हंसते, रोते, तनाव में देखते हैं, तो हम खुद को भावनात्मक रूप से उन किरदारों से जोड़ लेते हैं। ऐसे में यदि खुशी के मौके पर हम उनसे जुड़ते हैं तब तो ठीक है लेकिन जब वे दुखी होते हैं, तो हम भी अपने दिमाग में उनकी परेशानियों का हल खोजते हुए इमोश्नल हो जाते हैं, जिससे हमारे शरीर में दुख के लिए जिम्मेदार हर्मोन्स का स्त्राव होता है। यह स्त्राव हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का नुकसान पहुंचाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद हानिकारक होता है।
प्रतिदिन बेवजह का लिया गया तनाव और दुख आपको कई बीमारियों से ग्रस्त कर सकता है।यही नहीं, सीरियल्स में सस्पेंस सीन् को जिस तरह से सनसनीखेज़ तरीके से साउंड इफेक्ट के साथ प्रस्तुत किया जाता है, उससे आपकी धड़कनें अचानक बढ़ जाती है, जिससे आपको दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है और सांस की बीमारियां भी जन्म लेती हैं।
इसीलिए दुख, चिंता, तनाव जैसे नकारात्मक नजरिए से बचने के लिए डॉक्टर्स भी सलाह देते हैं, और सकारात्मकता को बढ़ावा देने की बात करते हैं। वहीं कई संस्थाएं भी इसके लिए कार्य कर रही हैं, और ध्यान व योगाभ्यास व्दारा भी इनसे बचाव के तरीके लोग आजमा रहे हैं। ऐसे दौर में हम घर बैठे बिना किसी कारण के नकारात्मक भावों को आमंत्रण देकर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आने वाले समय में हमारे लिए यह कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है।
इसके लिए जरूरी है कि हम सीरियल या फिल्म देखते वक्त खुद को किरदारों के साथ न जोड़ें।
यह बात याद रखें कि जो भी हम टीवी या पर्दे पर देख रहे हैं,वह अभिनय मात्र है, और उसका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है।
फिल्में या सीरियल केवल आपके मनोरंजन के लिए बनाई गई कहानियां है,जिनमें कोई सच्चाई नहीं होती।