नेत्ररोगों से भी बचाव करती है हल्दी
हल्दी के एंटीसेप्टिक गुणों के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि यह नेत्ररोगों से बचाव में भी कारगर साबित हुई है। यह जानकारी चोइथराम नेत्रालय के प्रमुख डॉ. प्रतीप व्यास ने बोस्टन अमेरिका में हुई वर्ल्ड ग्लूकोमा कांग्रेस से लौटकर खास बातचीत में कही। उन्होंने वहाँ दो शोधपत्रों का वाचन किया। उन्होंने बताया कि हल्दी को लेकर दो सालों में 500 से अधिक शोध प्रबंध (पीअर रिव्यू पब्लिकेशन) प्रकाशित किए गए हैं। दुनियाभर से आए नेत्ररोग विशेषज्ञों के सामने न्यूयॉर्क के डॉ. रॉबर्ट रिच ने शोध के बारे में बताया कि हल्दी मोतियाबिंद, काँचबिंद, मैक्यूलर डीजेनेरेशन, रेटीना मायोपैथी से बचाव में कारगर सिद्ध हुई है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है। आदिकाल से हल्दी को चोट और घाव भरने के लिए एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसके अलावा अन्य कई रोगों के उपचार में इसकी भूमिका पर शोध किए जा रहे हैं। 1.
कई तरह के कैंसर से बचाव किया जा सकता है साथ ही यह रोग बढ़ने से रोका जा सकता है।2.
सूजन और जलन कम होती है।3.
हृदय की कार्यप्रणाली को दुरुस्त रखती है।
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मोतियाबिंद होने से रोकती है।5.
फंगस और जहरीले कीट पतंगों के दंश के प्रभाव को नियंत्रित करती है। इसके अलावा हल्दी मल्टीपल स्क्लेरियोसिस तथा मधुमेह के पुराने रोग के संभावित इलाज के रूप में भी देखी जा रही है। कितनी हल्दी जरूरी है रोज : शोध अध्ययनों से पता चला है कि हल्दी में करक्यूमिन रसायन 5 प्रतिशत होता है। इसकी पर्याप्त मात्रा 10 ग्राम हल्दी प्रतिदिन लेने पर प्राप्त होती है। इसे कच्चे अथवा पावडर के रूप में लिया जा सकता है। रात में दूध में मिलाकर अथवा कुनकुने पानी और शहद के साथ लिया जा सकता है।