रेस्टलेस लेग्स सिण्ड्रोम !
क्या कभी-कभी ऐसा होता है कि दिनभर की थकान के बाद आप बिस्तर पर जाते हैं, यह सोचकर कि तकिए पर सिर लगते ही आप नींद की आगोश में समा जाएँगे, लेकिन आपकी टाँगें सोने से इंकार कर देती हैं? पिंडलियों में अचानक जलन-सी महसूस होती है और आप टाँगों को हिलाने-डुलाने, यहाँ तक कि हवा में लात मारने से खुद को रोक नहीं पाते? इसे रेस्टलेस लेग्स (बेचैन टाँगें) सिण्ड्रोम कहते हैं। इसका दूसरा नाम है एकबॉम सिण्ड्रोम। टाँगों की इस बेचैनी का ठीक-ठीक कारण तो अभी पता नहीं चला है लेकिन अनुमान है कि इसका संबंध मस्तिष्क के एक अभिग्राहक (रिसेप्टर) में डोपामाइन की कमी से हो सकता है। इससे मेरुरज्जु की प्रतिवर्ती क्रियाएँ प्रभावित होती हैं। शिकागो (अमेरिका) स्थित पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन में किए गए शोध का निष्कर्ष है कि मस्तिष्क में लौह तत्व की कमी भी टाँगों को बेचैन करती है। |
क्या कभी-कभी ऐसा होता है कि दिनभर की थकान के बाद आप बिस्तर पर जाते हैं, यह सोचकर कि तकिए पर सिर लगते ही आप नींद की आगोश में समा जाएँगे, लेकिन आपकी टाँगें सोने से इंकार कर देती हैं? पिंडलियों में अचानक जलन-सी महसूस होती है। |
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खैर, कारण जो भी हो, टाँगों की यह बेचैनी नींद की दुश्मन होती है और नींद का अभाव कई तरह की व्याधियाँ लेकर आता है। तो क्या किया जाए, जिससे टाँगों को कुछ चैन मिले? इसे पिंडलियों की ऐंठन समझकर इलाज करना बेकार है। नींद की गोली भी इस समस्या का हल नहीं है बल्कि इससे तो समस्या और बढ़ भी सकती है। बेहतर तो यही है कि आप बिस्तर छोड़कर थोड़ी चहलकदमी कर लें, आराम पहुँचाने वाले कुछ व्यायाम करें, हो सके तो नहा लें, टाँगों की मालिश करें या ठंडी फर्श पर पैर रखे रहें। यदि आपके रक्त में लौह की कमी है तो डॉक्टर से सलाह कर लौह संपूरक गोलियाँ लें। वैसे वैज्ञानिक बेचैन टाँगों को चैन की नींद सुलभ कराने के लिए प्रयासों में जुटे हुए हैं। उम्मीद है कि जल्द ही कोई दवाई बनकर तैयार हो जाएगी।