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Last Modified: मंगलवार, 12 जुलाई 2022 (12:10 IST)

Guru Purnima 2022 : प्रथम गुरु से लेकर गुरु गोरखनाथ तक की गुरु परंपरा

Guru Purnima 2022 : प्रथम गुरु से लेकर गुरु गोरखनाथ तक की गुरु परंपरा - Guru shishya tradition
भारत में प्राचीनकाल से ही आश्रमों की गुरु-शिष्य परंपरा चली आ रही है जो आज तक जारी है। प्रथम गुरु से लेकर श्रीरामकृष्ण परमहंस तक यह परंपरा अनवरत जारी है। पुराणों के अनुसार गुरु की महिमा शिष्य से है गुरु से नहीं। शिष्य को देखकर ही गुरु की महिमा को जाना जा सकता है। जैसे श्रीकृष्‍ण को देखकर सांदिपनी ऋषी की महिमा को जाना जा सकता है। आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद को देखकर श्रीरामकृष्‍ण परमहंस की महिमा को जाना जा सकता है।
 
1. प्रथम गुरु : भगवान ब्रह्मा और शिव को इस संसार का प्रथम गुरु माना जाता है। ब्रह्माजी ने अपने मानस पुत्रों को शिक्षा दी तो शिवजी ने अपने 7 शिष्यों को शिक्षा दी जो सप्तर्षि कहलाए। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत ‍की थी जिसके चलते आज भी नाथ, शैव, शाक्त आदि सभी संतों में उसी परंपरा का निर्वाह होता आ रहा है। आदिगुरु शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने इसी परंपरा और आगे बढ़ाया।
 
2. दूसरे गुरु दत्तात्रेय : शिवजी के बाद सबसे बड़ा गुरु भगवान दत्तात्रेय को माना जाता है। दत्तात्रेयजी ने ब्रह्मा, विष्णु और महेष तीनों से ही दीक्षा और शिक्षा ग्रहण की थी। दत्तात्रेय के भाई ऋषि दुर्वासा और चंद्रमा थे। दत्तात्रेय ब्रह्मा के पुत्र अत्रि और कर्दम ऋषि की पुत्री अनुसूया के पुत्र थे।
 
3. देवताओं के गुरु : देवताओं के पहले गुरु अंगिरा ऋषि थे। उसके बाद अंगिरा के पुत्र बृहस्पति गुरु बने। उसके बाद बृहस्पति के पुत्र भारद्वाज गुरु बने थे। इसके अलावा हर देवता किसी न किसी का गुरु रहा है।
guru shukracharya
4. असुरों के गुरु : सभी असुरों के गुरु का नाम शुक्राचार्य हैं। शुक्राचार्य से पूर्व महर्षि भृगु असुरों के गुरु थे। कई महान असुर हुए हैं जो किसी न किसी के गुरु रहे हैं।
 
5. भगवानों के गुरु : भगवान परशुराम के गुरु स्वयं भगवान शिव और भगवान दत्तात्रेय थे। भगवान राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र थे। हनुमानजी के गुरु सूर्यदेव, नारद और मातंग ऋषि थे। भगवान श्रीकृष्‍ण के गुरु: भगवान श्रीकृष्‍ण के गुरु थे गर्ग मुनि, सांदीपनि और वेद व्यास ऋषि। गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त आदि भगवान बुद्ध के गुरु थे।
 
6. महाभारत में गुरु : महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य एकलव्य, कौरव और पांडवों के गुरु थे। परशुरामजी कर्ण के गुरु थे। इसी तरह किसी ना किसी योद्धा का कोई ना कोई गुरु होता था। वेद व्यास, गर्ग मुनि, सांदीपनि, दुर्वासा आदि।
 
7. आचार्य चाणक्य के गुरु : चाणक्य के गुरु उनके पिता चणक थे। महान सम्राट चंद्रगुप्त के गुरु आचार्य चाणक्य थे। चाणक्य के काल में कई महान गुरु हुए हैं। 
Adi Shankaracharya
Adi Shankaracharya
8. आदिशंकराचार्य और लाहड़ी महाशय के गुरु : ऐसा कहा जाता है कि महावतार बाबा ने आदिशंकराचार्य को क्रिया योग की शिक्षा दी थी और बाद में उन्होंने संत कबीर को भी दीक्षा दी थी। इसके बाद प्रसिद्ध संत लाहिड़ी महाशय को उनका शिष्य बताया जाता है। इसका जिक्र लाहिड़ी महाशय के शिष्य स्वामी युत्तेश्वर गिरि के शिष्य परमहंस योगानंद ने अपनी किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी' (योगी की आत्मकथा, 1946) में किया है। हालांकि ज्ञात रूप से आदि शंकराजार्य के गुरु आचार्य गोविन्द भगवत्पाद थे।
 
9. गुरु गोरखनाथ के गुरु : नवनाथों के महान गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ (मछंदरनाथ) थे‍ जिन्हें 84 सिद्धों का गुरु माना जाता है।
 
10. द्विज गुरु : मनुस्मृति में कहा गया है कि उपनयन संस्कार के बाद विद्यार्थी का दूसरा जन्म होता है। इसीलिए उसे द्विज कहा जाता है। शिक्षापूर्ण होने तक गायत्री उसकी माता तथा आचार्य उसका पिता होता है। पूर्ण शिक्षा के बाद वह गुरुपद प्राप्त कर लेता है।