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Written By भाषा
Last Modified: पाटन (भाषा) , शुक्रवार, 21 दिसंबर 2007 (18:49 IST)

गुजरात में एनआरआई भी सक्रिय

गुजरात में एनआरआई भी सक्रिय -
बड़ी संख्या में गुजराती अप्रवासी भारतीय आजकल अपने पैतृक राज्य में आ गए हैं और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपनी पसंद के राजनीतिक दलों के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं।

इनमें से कई निवर्तमान मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं और उनका मानना है कि मोदी के नेतृत्व में प्रदेश का विकास हुआ है। उनका विरोध करने वाले कांग्रेसी समर्थकों की तादाद भी अच्छी-खासी है, जो कह रहे हैं कि मोदी ने प्रदेश को बाँट दिया है।

राज्य विधानसभा के चुनावों में हालाँकि वह मतदान नहीं कर सकते, लेकिन ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों से आए एनआरआई अपनी पसंद की पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में वोटरों को लुभाने और प्रचार अभियान में लंबी-चौड़ी रकम लगा रहे हैं।

लंदन से आए मोदी के कट्टर समर्थक 42 वर्षीय एनआरआई राजन पटेल ने कहा- मैं हालाँकि मतदान नहीं कर सकता, लेकिन फिर भी मैं यह सुनिश्चित करना चाहूँगा कि सही लोग चुनकर सत्ता में आएँ। अगर मैं वोट नहीं भी डाल सकता हूँ तो भी यह सुनिश्चित करना चाहूँगा कि कम से कम दूसरे सौ लोग जाकर मतदान करें। यह बहुत जरूरी है।

पटेल ने दावा किया कि ब्रिटेन में उनकी तरह के करीब सौ अप्रवासी भारतीयों ने गुजरात आकर मोदी का समर्थन करने का फैसला किया है क्योंकि उन्हें लगता है कि मोदी विकास और वृद्धि के द्योतक हैं।

उन्होंने कहा कि हम गुजरात में निवेश करना चाहेंगे क्योंकि यहाँ चीजों में काफी सुधार हुआ है। यहाँ अब भ्रष्टाचार कम है और केवल फोन पर की गई शिकायतों के आधार पर भी कार्रवाई की गई हैं।

मोदी के नेतृत्व में विकास होने के दावे को खारिज करने वाले कांग्रेस समर्थक अप्रवासी भारतीयों की भी बड़ी संख्या है। वे भी यहाँ अपनी पसंद के दल कांग्रेस के प्रचार अभियान के लिए आए हैं।

कांग्रेस के समर्थन के लिए सियेटल (अमेरिका) से यहाँ आए दीपक अमीन ने कहा वे किस विकास की बात कर रहे हैं, सब कुछ बेकार हो गया है। कोई भी राज्य विकास नहीं कर सकता, जहाँ लोग बँटे हुए हों और भाजपा ने यही किया है।

अमीन ने कहा नंबर एक होने के लिए आपको पहले एकजुट होना होगा। जब आप हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं तो देश के बाकी लोगों की अनदेखी करते हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने जैसी विचारधारा वाले विभिन्न देशों के कम से कम 15 अप्रवासी भारतीयों के संपर्क में हैं।