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Written By नृपेंद्र गुप्ता

गुजरात में मोदी मैजिक का कमाल, जानिए क्यों बेअसर रहा महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा?

गुजरात में मोदी मैजिक का कमाल, जानिए क्यों बेअसर रहा महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा? - Modi magic in gujrat : Why inflation, unemployment issues failed?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व भाजपा 2022 के चुनाव में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने जा रही है। 1995 से गुजरात में सत्ता पर काबिज भाजपा के चुनावी चक्रव्यूह का कांग्रेस के पास कोई काट नहीं था। राज्य में पहली बार दमदारी से विधानसभा चुनाव लड़ रही आप ने 12.9 फीसदी वोट हासिल कर पहले से कमजोर नजर आ रही कांग्रेस को तोड़ने में कोई कोर-कसर नहीं रखी। आइए जानते हैं कि गुजरात में महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा क्यों नहीं चला?
 
कांग्रेस और आप ने भाजपा को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरने का भरसक प्रयास किया, लेकिन टीम मोदी ने पहले ही इसकी काट ढूंढ ली थी। भाजपा को पता था कि विपक्ष गुजरात में महंगाई और बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बना सकता है। ऐसे में पीएम मोदी ने चुनावों की घोषणा से पहले ही अपने गृहराज्य के लगातार दौरे कर कई बड़े प्रोजेक्ट्स की सौगात दी।

इस तरह महंगाई पर विकास का मुद्दा भारी पड़ा और लोगों को रोजगार के अवसर मिलने की संभावना बढ़ी। वह लोगों को यह समझाने में सफल रहे कि भाजपा की डबल इंजन सरकार ही लोगों का भला कर सकती है। लोगों को यह भी अहसास दिलाया गया कि मोदी और भाजपा के बगैर गुजरात अधूरा है।
 
भाजपा को पता था कि इस चुनाव में नरेंद्र मोदी ही उनका तुरुप का इक्का हैं। पार्टी ने बेहतर प्लानिंग से अपने नेता का सर्वश्रेष्‍ठ इस्तेमाल किया। गांधीनगर, अहमदाबाद, बड़ौदा, राजकोट, जामनगर, नवसारी, कच्छ समेत गुजरात में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं था जहां मोदी की सभा नहीं हुई। मोदी ही नहीं अमित शाह भी पूरे समय गुजरात में पार्टी के प्रचार में डटे रहे। नड्डा समेत देशभर के अन्य दिग्गज नेताओं ने राज्य में पार्टी का माहौल बनाने में कोई कौर कसर नहीं छोड़ी।
 
चुनाव में भाजपा ने जब मोदी को ही आगे रखा तो विपक्ष पर उन पर हमले के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। जैसे ही विपक्ष ने इस लोकप्रिय नेता पर हमला बोला, पार्टी ने मोदी के अपमान को बड़ा मुद्दा बना दिया। मोदी के अपमान को गुजरात की अस्मिता से जोड़कर पेश किया गया और यहीं सब मुद्दे खत्म हो गए।

पिछले चुनाव में 77 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 20 के आसपास ही सिमट गई। वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में 99 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 150 के पार पहुंच गई।
 
हालांकि महंगाई समेत अन्य मुद्दे हिमाचल प्रदेश के साथ ही 5 राज्यों में हुए उपचुनावों के साथ ही MCD चुनाव में भी चले। हिमाचल और एमसीडी चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा तो उपचुनावों में भी पार्टी को करारी हार मिली।   
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