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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 5 दिसंबर 2022 (19:07 IST)

एग्जिट पोल: गुजरात में सत्ता में भाजपा की वापसी, दांव पर मोदी की साख और प्रतिष्ठा!

एग्जिट पोल के अनुमान में गुजरात में भाजपा की सत्ता में वापसी, लेकिन 150 सीटों पर जीत के दावे से भाजपा दूर!

एग्जिट पोल: गुजरात में सत्ता में भाजपा की वापसी, दांव पर मोदी की साख और प्रतिष्ठा! - Exit polls: BJP return to power in Gujarat, Modi credibility and reputation at stake
गुजरात में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद आए अधिकांश एग्जिट पोल में राज्य में भाजपा सत्ता में वापसी करती हुई दिखाई दे रही है। सभी एग्जिट पोल में भाजपा 182 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुमत का आंकड़े के पार नजर आ रही है। अगर गुजरात में भाजपा सत्ता में वापस लौट रही है तो उसका सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा माना जा रहा है। एग्जिट पोल के अनुमान में  भाजपा भले ही सत्ता में लौट रही है लेकिन अब अब यह देखना दिलचस्प  होगा कि जिस गुजरात में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा और साख दांव पर लगी है उस पर जनता कितनी मुहर लगाती है। 

गुजरात में दूसरे चरण में भी कम वोटिंग?-गुजरात विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण में भी वोटिंग नजर आई। पहले चरण की तरह गुजरात में दूसरे चरण में भी कम वोटिंग रही। अगर गुजरात विधानसभा में पांच बजे तक वोटिंग के आंकड़ें पर नजर डाले तो यह 2017 के मुकाबले 10 फीसदी कम नजर आ रहा है। आज की वोटिंग के अंतिम आंकड़े आने से पहले अब तक वोटिंग के आए अनुमान के मुताबिक गुजरात में दोनों चरणों को मिलाकर 63-65 फीसदी के बीच मतदान नजर आ रहा है जबकि 2017 के चुनाव में गुजरात में 70 फीसदी के करीब मतदान हुआ था।

गुजरात में दूसरे चरण की वोटिंग में सबसे दिलचस्प बात यह रही है कि पीएम मोदी के रोड शो वाले अहमदाबाद में सबसे कम वोटिंग रही। शहरों में कम वोटिंग का चुनाव परिणाम पर क्या असर पड़ेगा यह तो पूरी तरह 8 दिसंबर को चुनावी नतीजों के बाद ही साफ होगा। गुजरात में जहां भाजपा ने 182 सदस्यीय विधानसभा में 150 से अधिक सीट जीतने का दावा किया था वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार गुजरात में भाजपा की रिकॉर्ड तोड़ जीत का दावा किया था।

दांव पर मोदी की साख और प्रतिष्ठा!-गुजरात भाजपा के लिए इस बार कितनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बनी हुई है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात विधानसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिकॉर्ड 35 से अधिक चुनावी सभा और रोड शो किए। गुजरात की राजनीति को कई दशक से करीब से देखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सुधीर एस रावल कहते हैं कि गुजरात में भाजपा सरकार में वापसी तो कर लेगी लेकिन देखना होगा कि गुजरात में जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहराज्य है वहां चुनाव परिणाम में भाजपा उस नंबर तक पहुंच पाती है जिससे प्रधानमंत्री की साख और प्रतिष्ठा बच सके। वह कहते हैं कि गुजरात में दूसरे चरण की कम वोटिंग का एक साफ संदेश है कि भाजपा का वोटर चुनावी बूथ नहीं पहुंचा। अगर दूसरे चरण की वोटिंग के देखा जाए तो पाते हैं कि गुजरात का वोटर में चुनाव को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं थी।

गुजरात में दोनों चरणों की वोटिंग में शहरों में जहां कम वोटिंग दिखाई दी वहीं गांव में बंपर वोटिंग दिखाई दी। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि गुजरात में भाजपा का वोटर चुनाव के दौरान पूरी तरह उदासीन नजर आया। गुजरात में भाजपा केवल मोदी के चेहरे के साथ चुनाव में उतरी और उसके पास लोगों को रिझाने के लिए कोई मुद्दा नहीं था जिससे पार्टी वोटर को अपने समर्थन के लिए नहीं निकल पाई।

गुजरात में भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती एंटी इनकंबेंसी रही है। यहीं कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व में गुजरात में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जिस तरह रातों रात विजय रूपाणी की पूरी सरकार को बदल दिया उससे गुजरात भाजपा के वो सीनियर लीडर जिन्होंने गुजरात में भाजपा को खड़ा करने का काम किया था वह बेहद नाराज नजर आए और वह चुनाव में दिखाई नहीं दिए।

22 साल में मोदी की सबसे बड़ी परीक्षा?-गुजरात विधानसभा के चुनाव परिणाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख और प्रतिष्ठा सीधे जुड़ी हुई है। गुजरात में पिछले 27 साल से भाजपा सत्ता में काबिज है। राज्य में भाजपा 1995 विधानसभा चुनाव में सत्ता में काबिज हुई थी और तब से अब तक राज्य में भाजपा का कब्जा बरकरार है। अगर राज्य में भाजपा के चुनाव दर चुनाव प्रदर्शन को देखा जाए तो 1995 के चुनाव में भाजपा को 121 सीटें मिली थी। वहीं 1998 के चुनाव में 117 सीटें, साल 2002 में 127 सीटें, 2007 में 116 सीटें, 2012 में 115 सीटें और 2017 के चुनाव में 99 सीटें मिली थी।

साल 2001 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में सरकार बनने के बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सबसे परफॉरमेंस सबसे खराब रहा है। साल 2017 में सीटें घट कर 99 पर पहुंच गईं थी और कांग्रेस और भाजपा में विधायकों का फर्क महज 22 का रह गया था। अगर चुनाव के नतीजों के साल दर साल विश्लेषण करें तो पाते हैं कि गुजरात में भाजपा भले में सत्ता में बनी हुई है लेकिन 2002 के बाद पार्टी की सीटें और वोट प्रतिशत दोनों घटे हैं। ऐसे में इस बार गुजरात के चुनाव परिणाम पर सबकी नजरें टिकी हुई है।

गुजरात विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कम वोटिंग हुई उसको देखकर राजनीतिक विश्लेषक का अनुमान जता रहे है कि दो दशक में पहली बार हो रहा है कि गुजरात के लोगों का विश्वास भाजपा से टूट गया है। लेकिन इसके बाद भी अगर भाजपा सत्ता में वापस लौटती हुई दिखाई दे रही है तो उसका बड़ा कारण दूसरी अन्य पार्टियों पर लोगों का विश्वास नहीं बन पा रहा है।
 
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