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Last Modified: शनिवार, 3 दिसंबर 2022 (22:51 IST)

Gujarat Election : खेडब्रह्मा सीट जीतने के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक कोतवाल के आसरे भाजपा

Gujarat Election : खेडब्रह्मा सीट जीतने के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक कोतवाल के आसरे भाजपा - BJP relying on former Congress MLA Kotwal to win Khedbrahma seat
खेडब्रह्मा (गुजरात)। गुजरात में साबरकांठा जिले का जनजातीय बहुल खेडब्रह्मा विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए आदिवासी नेता अश्विन कोतवाल की मदद से इस बार यह सीट जीतने की जुगत में लगी है।

कोतवाल ने 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पूर्वोत्तर गुजरात की खेडब्रह्मा सीट जीती थी और औसतन 50 से 55 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। वह इसी साल मई में भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हें इसी सीट से टिकट दिया गया है।

खेडब्रह्मा सीट 1990 के चुनाव को छोड़कर कांग्रेस के पास रही है। वर्ष 1990 में भाजपा यह सीट जीतने में कामयाब रही थी। निर्वाचन क्षेत्र के करीब 2,82,000 मतदाताओं में से लगभग 70 प्रतिशत मत अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से हैं।

जबकि लगभग चार प्रतिशत मत अनुसूचित जाति (एससी) और दो प्रतिशत मत अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। मतदाता मुख्य रूप से खेती करते हैं और छोटा-मोटा व्यवसाय करते हैं। इनमें प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं।

कोतवाल ने कहा, मैं आश्वस्त हूं कि इस सीट पर मेरी पार्टी (भाजपा) जीतेगी। मैंने पिछले 15 साल से इस क्षेत्र के लिए काम किया है। मेरी साख और आदिवासियों के लिए भाजपा सरकार की पहल हमें इस सीट पर जीत हासिल करने में मदद करेगी।

कांग्रेस छोड़ने के पीछे के कारण के बारे में कोतवाल ने कहा कि विपक्षी खेमे में रहकर आदिवासियों के विकास के लिए काम करना असंभव था। उन्होंने कहा, यदि आप विपक्षी पार्टी में होते हैं, तो क्षेत्र में विकास करना मुश्किल होता है। इसलिए मैंने आदिवासियों के विकास के लिए भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है और मुझे लोगों का समर्थन प्राप्त है।

इस विधानसभा क्षेत्र में दूसरे चरण के तहत पांच दिसंबर को मतदान होगा। जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से यह एकमात्र ऐसी सीट है जो कांग्रेस के पास है। कांग्रेस के एक स्थानीय समर्थक रमेशभाई सोलंकी ने भाजपा का उपहास उड़ाते हुए कहा, भाजपा का मानना है कि खेडब्रह्मा में एक कांग्रेसी (कोतवाल) को लाकर वह इस विधानसभा सीट को ‘कांग्रेस-मुक्त’ बना सकती है।

कांग्रेस का दावा है कि खेडब्रह्मा में उम्मीदवार नहीं, बल्कि चुनाव चिह्न मायने रखता है। कांग्रेस उम्मीदवार तुषार चौधरी ने कहा, इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मैं उम्मीदवार हूं या कोई और। यह कांग्रेस का गढ़ है और यहां के मतदाता खुद को हमारी पार्टी के चुनाव चिह्न से जोड़कर देखते हैं।

भाजपा ने चौधरी को बाहरी व्यक्ति के तौर पर पेश करने का अभियान चलाया है, लेकिन कोतवाल को मैदान में उतारने से भाजपा को अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के एक वर्ग और स्थानीय नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रवेश से भी कांग्रेस और भाजपा को अपना-अपना खेल बिगड़ने की आशंका है। AAP ने इस सीट के लिए स्थानीय आदिवासी नेता बिपिनचंद्र गमेती को उम्मीदवार बनाया है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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