डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी: 2जी घोटाले के 'व्हिसिल ब्लोअर'
वेबदुनिया डेस्क
जनता पार्टी के अध्यक्ष और अर्थशास्त्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने ही 2008 में 2जी मामले को उजागर कर 11 कंपनियों के 122 लाइसेंस रद्द करने के अहम फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अगर डॉ. स्वामी 2जी घोटाले में रुचि न लेते और पहल न करते तो देश का यह बड़ा घोटाला जनता के कभी सामने नहीं आ पाता और इस ओर कभी ध्यान न दिया जाता। डॉ. स्वामी ने इस घोटाले को उजागर कर एक सच्चे भारतीय होने का धर्म निभाया। 2008 में उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा के खिलाफ कार्यवाही के लिए पत्र लिखे थे, लेकिन प्रधानमंत्री के कोई एक्शन न लेने पर उन्होंने खुद ही 2जी मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और 2जी मामले को साकार और जनता के सामने लेकर आए।15
सितम्बर 1939 को चेन्नई में जन्मे डॉ. स्वामी पेशे से एक प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री हैं। उनके पिता सीताराम सुब्रमण्यम मदुरई, तमिलनाडु से थे और भारत सरकार के सचिव थे और उनकी माता केरल से थीं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से मेथामेटिक्स में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टिट्यूट कोलकाता से स्टेटिस्टिक्स में मास्टर डिग्री की पढ़ाई की। मास्टर डिग्री लेने के बाद डॉ. स्वामी आगे की पढ़ाई के लिए हावार्ड यूनिवर्सिटी गए जहां से उन्होंने 1965 में अर्थशास्त्र में पीएचडी कर डॉक्ट्रेट की उपाधि को प्राप्त किया। 1963
में अपने डिजर्टेशन के दौरान उन्होंने न्यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशन के सचिवालय में अर्थशास्त्र मामलों के सह अधिकारी के पद पर कुछ समय तक काम किया। 1964 से 1969 तक स्वामी जी हावार्ड में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे और 2011 तक उन्होंने वहां समर क्लासेस भी ली हैं, लेकिन दिसंबर 2011 में उनके विवादित लेख के कारण हावार्ड की फेकल्टी काउंसिल ने हावार्ड समर स्कूल से उनके विषय को अलग कर दिया गया। 1969
में स्वामी जी को दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के पद के लिए प्रस्ताव मिला। इस प्रस्ताव को अपनाकर वे भारत वापिस लौट आए, लेकिन भारत की परमाणु क्षमता पर उनकी राय के कारण उनकी इस नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया। इसके बाद 1961 से 1991 तक वे आईआईटी दिल्ली में अर्थशास्त्र का प्रोफेसर रहे। इसके साथ ही डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी 1974 से 1999 के बीच पांच बार संसद सदस्य चुने गए। राजनीति में उनके करियर की शुरुआत तब हुई जब वे जयप्रकाश नारायण के सर्वोदय आंदोलन का हिस्सा बने। वैसे तो यह एक गैर राजनीतिज्ञ आंदोलन था लेकिन यही आंदोलन जनता पार्टी के उदय का कारण बना। डॉ. स्वामी जनता पार्टी के संस्थापकों में से भी एक हैं और 1990 से अब तक जनता पार्टी की अध्यक्षता की सारी बागडोर उनके ही हाथों में हैं। 1990
और 1991 मे बीच सुब्रमण्यम स्वामी योजना आयोग के सदस्य रहे। डॉ. स्वामी आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्हीं के प्रयासों से भारत और चीन के बीच समझौता हुआ और कैलाश मानसरोवर जाने का रास्ता मिला। इसके साथ ही डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी हमेशा इजराइल से अच्छे संबंधों के समर्थन में रहे हैं। अपने राजनीतिज्ञ, एकेडमिक और अर्थशास्त्र के करियर के अलावा डॉ. स्वामी ने कई पुस्तकों, शोधपत्रों और पत्रिकाओं को भी लिखा है। अपने कई लेखों के कारण उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। लेकिन इन आलोचनाओं की परवाह न करते हुए वे अपना काम करते रहे और एक सच्चे राजनीतिज्ञ और भारतीय के रूप में जनता की प्रशंसा के पात्र बने।