17 नवम्बर को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, 1999 में यूनेस्को ने दी थी स्वीकृति
कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी यह मुहावरा कुछ ज्यादा ही टेढ़ा-मेढ़ा जरूर है लेकिन इसका अर्थ समझाने पर भी हंसी आ जाएंगी। जी इसका अर्थ है हर थोड़ी दूरी पर पानी का स्वाद ही बदल ही जाता है और 4 कोस पर भाषा बदल जाती है। इसलिए सभी भाषा का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि वह उस क्षेत्र की पहचान होती है। भाषा के बिना किसी क्षेत्र या देश की कल्पना करना मुश्किल होता है। 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। लेकिन 17 नवंबर 1999 में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की स्वीकृति दी थी। यह दिवस ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों को समर्पित है। जिन्होंने बांग्ला भाषाओं को मान्यता के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया था। आइए जानते हैं इस दिवस के बारे में -
अंतरराष्ट्रीय दिवस को मनाने का उद्देश्य
यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर 1999 में इस दिवस को स्वीकृति मिलने के बाद 21 फरवरी 2000 से यह दिवस मनाया जा रहा है। इस दिवस का उद्देश्य विश्व में भिन्न भाषाओं और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देना है। क्योंकि जैसे-जैसे समय और परिस्थिति बदल रही है कई भाषाएं विलुप्त होती जा रही है। जिसे बचाने का प्रयास भी किया जा रहा है। बांग्लादेश में भाषा को लेकर हुए आंदोलन के बाद से बांग्ला भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली थी। बांग्लादेश में आज के दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित रहता है।
अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस थीम 2021
हर साल भाषा के क्षेत्र में कुछ नया करने के लिहाज से एक थीम तय की जाती है। अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस 2021 की थीम है 'शिक्षा और समाज में समावेशन के लिए बहुभाषावाद को प्रोत्साहन।' गौरतलब है कि विश्व भर में करीब 7000 भाषाएं बोली जाती हैं। लेकिन आधिकारिक मान्यता प्राप्त भाषाएं सिर्फ 22 है। 1635 मातृभाषाएं और 234 पहचान योग्य भाषाएं है।
भारत में शिक्षा नीति की पहल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ,2000 में मातृभाषाओं के विकास पर जोर दिया गया। नीति में तय किया गया कि जहां तक हो सके बच्चों को कम से कम 5वीं तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान होना चाहिए। इससे बच्चे उनकी पसंद के विषय और भाषा को सशक्त बनाने में मदद करेगा।