20 October 1962 : भारत और चीन युद्ध की बड़ी बातें
वर्तमान में भी भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है। लेकिन अब हालात, वक्त, शौर्य बल, सेना की ताकत सब कुछ बदल गया है। भारत और चीन आज ऐसे पड़ोसी देश बन गए है, जहां युद्ध तो कम लेकिन बॉर्डर पर हलचल बनी रहती है। अब गोली बारी नहीं की जाती है लेकिन भारतीय सीमा में हस्तक्षेप करने पर भारतीय सेना द्वारा माकूल जवाब दिया जाता है। एक वक्त था जब कहा जाता था 'हिंदू-चीनी भाई-भाई'। लेकिन अब तो हालात ऐसे बन गए है कि महीनों तक दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी रहती है। लेकिन 1962 में युद्ध के दौरान हालात बहुत अलग थे। उस वक्त देश को आजाद हुए कुछ ही वक्त हुआ था, भारत पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार नहीं था। जिस वजह से भारत को शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस युद्ध से जुड़ी कई जानकारियां है जिससे लोग आज भी अनजान है। आइए जानते हैं -
- 20 अक्टूबर 1962 को भारत और चीन के बीच शुरू हुआ था युद्ध। 21 नवंबर 1962 तक चला था युद्ध।
- 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Solidarity Day)के रूप में मनाया जाता है।
- 1947 में भारत अंग्रेजों के चंगुल से पूरी तरह से आजाद ही हुआ था। देश अपना वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी कर रहा था। कई मुद्दों पर चर्चा की जा रही थी तो किसी पर चर्चा होना बाकी थी। भारत स्थापित होने की कोशिश कर रहा था। लेकिन 1959 से भारत पर चीन ने छोटे-छोटे आक्रमण शुरू कर दिए थे। सीमा पर युद्ध गहराने लगा था। और उसी दौरान दलाई लामा को भारत ने शरण दी थी। चीन को यह बात हजम नहीं हुई और युद्ध की गति तेज हो गई।
- प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर ने 1962 के युद्ध के बाद लाल किले की प्राचीर से 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत पहली बार गाया था। उस दौरान प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू भी मौजूद थे। लगभग 1 महीने तक चले इस युद्ध में करीब 1383 सैनिक शहीद हो गए थे और 1047 घायल हो गए थे। 1696 सैनिक लापता हो गए।
- वहीं चीन ने इस युद्ध में 722 सैनिक खोए थे और 1657 सैनिक घायल हुए थे।
- भारत चीन युद्ध 20 अक्टूबर 1962 में लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के हमले शुरू किए थे। चीनी सेना ने पश्चिमी क्षेत्र में रेजांग-ला और पूर्व में तवांग पर अवैध कब्जा जमा लिया था।
- पं. जवाहर लाल नेहरू उस वक्त देश के प्रधानमंत्री थे लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि यह युद्ध इतने बड़े स्तर पर हो रहा है। उनका मानना था कि यह विवाद बातचीत से सुलझ सकता है। लेकिन समय पर फैसला नहीं लेने पर यह युद्ध देखते ही देखते बढ़ता गया और करीब 1 महीने तक चला।
- यह युद्ध दो असमान सैनिकों के बीच में हो रहा था। जहां एक तरफ भारत के सिर्फ 10 हजार से 12 हजार सैनिक थे वहीं चीन के करीब 80 हजार सैनिक थे।
हालांकि अब हालात बहुत कुछ बदल गए है। डोकलाम विवाद के दौरान भारतीय सैनिकों की ताकत से चीन की हालात भी खस्ता हो चुकी है। भारतीय सेना उस दौरान तैयार नहीं थी। पर आज दुनिया के बड़ें -बड़ें देश भारतीय सेना से युद्ध करने के पहले सोचते हैं।