अनूठी है अंतरिक्ष की दुनिया
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निश्मा भोंडवेदोस्तो, अंतरिक्ष की दुनिया के चन्द दृश्य आपने टीवी पर देखे होंगे। यान से जाना, उड़ते हुए चलना... सब कुछ कितना अलग और अनोखा होता है, लेकिन वैज्ञानिकों का पृथ्वी से सैकड़ों मील दूर जाना, अंतरिक्ष के वातावरण में खुद को ले जाना इतना आसान नहीं होता। इस दुनिया में जाने के लिए कई वर्षों तक प्रशिक्षण लेना होता है और महीनों चलती है तैयारियाँ। अंतरिक्ष हमेशा से मनुष्य के रहस्यों की खान रहा है। वैज्ञानिक जितनी उसकी परत खोलते हैं, उनका आश्चर्य और अंतरिक्ष का रहस्य और अधिक गहराता जाता है। अब देखो हाल ही में वैज्ञानिकों ने दूर अंतरिक्ष में अनोखा ग्रह खोज निकाला है। जो फूल-सा हल्का है। इसका आयतन तो हमारे सौरमण्डल के विशालतम ग्रह वनस्पति से भी अधिक है। परन्तु इसका भार उससे आधा है। अब नए ग्रह को वैज्ञानिक ने नाम दिया है। एचएटी -1-पी। यह हमारे सौरमण्डल से 450 प्रकाश वर्ष दूर लेस्त्रेय तारा मण्डल का एक सदस्य है और एक तारे के इर्द-गिर्द घूम रहा है। फिलहाल वैज्ञानिकों के सामने और भी रहस्य खड़े हो गए हैं कि आखिर अंतरिक्ष में इतने हल्के, कम घनत्व वाले ग्रह किस प्रकार बनते हैं? आइए अब आपको अंतरिक्ष की कुछ मजेदार जानकारियों से रूबरू कराती हूँ। चूँकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता इसलिए वहाँ पर लिखना संभव नहीं होता। इन दिनों वैज्ञानिक एक ऐसा पेन बनाने में जुटे हैं, जिससे अंतरिक्ष में भी बिना किसी परेशानी के लिखा जा सके। इसपेन में रबर जैसी स्याही भरी होगी, जिससे यह पानी के अंदर भी काम कर सकता है। * अंतरिक्ष यात्रियों में कुछ ऐसे भी रहे हैं, जो शाकाहारी थे इनमें से एक है कल्पना चावला। * टैंग पानी में मिलाकर पिए जाने वाले एक ऑरेन्ज फ्लेवर वाले ड्रिंक को 1969 के अपोलो मिशन में चाँद पर ले जाया गया था। * अंतरिक्ष में रॉकेट से जाने की पहली कोशिश चीन में मिंग राजवंश के वान हू की मानी जाती है। उन्होंने कुर्सीनुमा यान बनाया था, जिसके ऊपर पतंगें लगाई और बारूद के विस्फोट से उड़ने की कोशिश की यह प्रयास असफल रहा और बारूद के विस्फोट से उड़ने की कोशिश की। यह प्रयास असफल रहा और इसमें उनकी जान चली गई। * रूस की वैलेंतीना तेरेशकोवा पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थी। * जॉन ग्लेन दुनिया के सबसे ज्यादा उम्र के व्यक्ति थे, जो अंतरिक्ष में गए। उस वक्त वे 77 वर्ष के थे। भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स पहली महिला अंतरिक्ष यात्री है, जो अंतरिक्ष में 188 दिन रुकी।