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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 30 अगस्त 2024 (14:58 IST)

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

॥ श्री गणेशाय नमः ॥ - Shri Ganesh
गणपति विघ्नहर्ता हैं, इसलिए नौटंकी से लेकर विवाह की एवं गृह प्रवेश जैसी समस्त विधियों के प्रारंभ में गणेश पूजन किया जाता है। 'पत्र अथवा अन्य कुछ लिखते समय सर्वप्रथम॥ श्री गणेशाय नमः॥, ॥श्री सरस्वत्यै नमः ॥,॥श्री गुरुभ्यो नमः ॥ ऐसा लिखने की प्राचीन पद्धति थी।

ऐसा ही क्रम क्यों बना? किसी भी विषय का ज्ञान प्रथम बुद्धि द्वारा ही होता है व गणपति बुद्धि दाता हैं, इसलिए प्रथम '॥श्री गणेशाय नमः॥' लिखना चाहिए।
 
बुद्धि जो ज्ञान ग्रहण किया गया हो उसे शब्दबद्ध करना सरस्वती का कार्य है। सरस्वती को ज्ञानदेव ने 'अभिनव वाग्लिसिनी' कहा है।

श्री समर्थ ने कहा है, 'शब्द मूळ वाग्देवता, अर्थ : शब्दों के मूल के देवता'; इसलिए दूसरा क्रमांक श्री सरस्वती को दिया। गुरु ही ज्ञान को ग्रहण करने का व उसे शब्दबद्ध करने का माध्यम बनते हैं; इसलिए गुरु को तीसरा क्रमांक दिया गया है।
 
महाभारत लिखने के लिए महर्षि व्यास को एक बुद्धिमान लेखक की आवश्यकता थी। यह कार्य करने के लिए उन्होंने गणपति से ही प्रार्थना की थी।
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