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Written By WD

गणपति जी के प्रतीक

हर बात है खास

Ganeshotsav 2010 | गणपति जी के प्रतीक
WD
भगवान गणपति का पूजन किए बगैर कोई कार्य प्रारम्भ नहीं होता। विघ्न हरण करने वाले देवता के रूप में पूज्य गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने तथा मनोकामना को पूरा करने वाले देवता हैं। श्री गणेश निष्कपटता, विवेकशीलता, अबोधिता एवं निष्कलंकता प्रदान करने वाले देवता हैं।

उनके ध्यानमात्र से व्यक्ति उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर होता है। गणपति विवेकशीलता के परिचायक है। गणपति का वर्ण लाल है; उनकी पूजा में लाल वस्त्र, लाल फूल व रक्तचंदन का प्रयोग किया जाता है।

हाथी के कान हैं सूपा जैसे सूपा का धर्म है 'सार-सार को गहि लिए और थोथा देही उड़ाय' सूपा सिर्फ अनाज रखता है। हमें कान का कच्चा नहीं सच्चा होना चाहिए। कान से सुनें सभी की, लेकिन उतारें अंतर में सत्य को। आँखें सूक्ष्म हैं जो जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं। नाक बड़ा यानि दुर्गन्ध (विपदा) को दूर से ही पहचान सकें।


गणेशजी के दो दाँत हैं एक अखण्ड और दूसरा खण्डित। अखण्ड दाँत श्रद्धा का प्रतीक है यानि श्रद्धा हमेशा बनाए रखना चाहिए। खण्डित दाँत है बुद्धि का प्रतीक इसका तात्पर्य एक बार बुद्धि भ्रमित हो, लेकिन श्रद्धा न डगमगाए।

गणेश के आयुध औश्र प्रतीकों से अंकुश हैं :

वह जो आनंद व विद्या की प्राप्ति में बाधक शक्तियों का नाश करता है।

कमर से लिपटा नाग अर्थातः विश्व कुंडलिनी

लिपटे हुए नाग का फण अर्थात : जागृत कुंडलिनी

मूषक अर्थातः रजोगुण। मूषक, अर्थात्‌ रजोगुण, गणपति के नियंत्रण में है।