उत्तर : जिस दिन मजदूर को दाड़की और मजदूरी मिल जाए और उसका चूल्हा जल जाए उस दिन उससे ज्यादा निश्चिंत, सुखी, तनावमुक्त और राजा आदमी संसार में कोई नहीं। उस दिन उसे अपने मजदूर होने पर गर्व होता है। जिस दिन उसे मजदूरी ना मिले उस दिन भी वह अपने मजदूर होने का अफसोस न करते हुए, मन में अगले दिन मजदूरी मिलने की आशा के सहारे बच्चों और परिवार सहित भूखा सो जाता है। इसीलिए हमने किसानों को आत्महत्या करते हुए सुना एवं देखा है किंतु किसी मजदूर को नहीं।