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Written By WD

एक दिन दोस्ती के नाम...

एक दिन दोस्ती के नाम... -
- नूपुदीक्षि

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दोस्तों, सोचिए अगर हमारे दोस्त न होते तो यह दुनिया कितनी बेरंग होती। जिंदगी में खुशियों के रंग भरने वाला हसीन रिश्ता है - दोस्ती।

हम किस घर में जन्म लेंगे, हमारे माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-ताऊ कौन होंगे, कैसे होंगे, इनमें से कुछ भी हमारे हाथों में नहीं है। इन सभी रिश्तों के बंधन में ईश्वर खुद हमें बाँधकर इस धरती पर भेजता है।

इसके बावजूद ईश्वर ने एक ऐसे खूबसूरत रिश्ते की बागडोर पूरी तरह से हमारे हाथों में सौंप दी है, जिसके साथ हमारे जीवन की सारी खुशियाँ और सारे गम जुड़े होते हैं। ईश्वर ने हमें पूरी स्वतंत्रता दी है कि हम अपने दोस्त खुद बनाएँ और यह रिश्ता जैसे चाहे, वैसे निभाएँ।

प्यार भरे रिश्ते को सम्मान दिलाने के लिए अमेरिका में कुछ लोगों ने एक दिन दोस्ती के नाम करना तय किया। उनकी कोशिशें रंग लाईं और सन् 1935 में अमेरिका में अगस्त के पहले रविवार को आधिकारिक रूप से फ्रेंडशिप डे (मित्रता दिवस) घोषित किया गया। पिछले 72 सालों में फ्रेंडशिप डे ने अमेरिका की सरहदों को लाँघकर पूरे विश्व में अपना स्थान बना लिया है। जिस तरह से दोस्ती का जज्बा हर दिल में होता है, वैसे ही फ्रेंडशिप डे भी दुनिया के हर मुल्क में मनाया जाने लगा।

जब बात किसी खास दिन को मनाने की होती हैं तो उसे मनाने के कई रिवाज और परंपराएँ भी उस दिन के साथ जुड़ते चले जाते हैं। फ्रेंडशिप डे पर अपने दोस्त को तोहफे देना और उसे फ्रेंडशिप बेंड बाँधना इसी का एक हिस्सा है।

जब दोस्ती के रिश्ते के कोई नियम, कायदे-कानून नहीं होते तो इसके सम्मान में समर्पित फ्रेंडशिप डे को मनाने के तरीके भी हर व्यक्ति अपने ढ़ंग से ईजाद कर लेता है।

हम राखी, दीवाली, ईद या क्रिसमस के तोहफों को परंपरा का लिबास पहना सकते हैं, लेकिन फ्रेंडशिप डे का तोहफा तो उतना ही व्यक्तिगत और खास होना चाहिए, जितना की आपकी दोस्ती। हो सकता है कि दुनिया भर के सारे तोहफों के आगे आपके दोस्त को उस फिल्म का फटा हुआ टिकट ज्यादा पसंद आए, जो आप दोनों ने साथ में पहली बार क्लास से बंक मारकर देखी थी।

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एक दोस्त की पसंद या नापसंद को उसके दोस्त से बेहतर कौन जान सकता है? शायद यही वजह थी कि जहाँ दोस्ती के सम्मान में एक दिन दोस्ती के नाम कर दिया गया, वहीं इस दिन को रस्मो-रिवाज या परंपरा के बंधन से मुक्त रखा गया।

एक बात जो विश्व भर में इस दिवस को मनाते समय याद रखी जाती है, वह है गर्मजोशी। इस दिन का खास व्यंजन है - यादों की चाशनी में डूबी हुई शरारतों की मिठाई, एक-दूसरे से हुई छोटी-छोटी तकरारों का नमकीन और लंबे समय से एक-दूसरे से न मिल पाने की वजह से रिश्तों पर जमी बर्फ की आईसक्रीम

इस खूबसूरत रिश्ते के सम्मान में केवल अगस्त माह का पहला रविवार ही नहीं और भी कुछ दिन समर्पित हैं।

वूमेंस फ्रेंडशिप डे
सन् 1999 में कप्पा डेल्टा बहन संघ ने सितंबर माह के तीसरे रविवार को वूमेंस फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाने का फैसला किया। उनके इस कदम का विश्व भर की औरतों ने स्वागत किया। अक्सर देखा जाता है कि घर और बाहर की जिम्मेदारियों के बोझ तले औरतों की दोस्ती दबती जाती है। एक औरत को भी एक अजीज दोस्त की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी एक पुरुष को। औरतों की जिंदगी में भी दोस्ती की खुशबू हमेशा महकती रहे, इसलिए वूमेंस फ्रेंडशिप डे की शुरुआत की गई। पहली बार जब वूमेंस फ्रेंडशिप डे मनाया गया, तब 20 लाख से ज्यादा औरतों ने इस दिन को अपनी सहेलियों के साथ मनाया।

इस पहल की सराहना करते हुए 31 राष्ट्रों ने आधिकारिक तौर पर सितंबर माह के तीसरे रविवार को महिला मित्रता दिवस यानी की वूमेंस फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाने की घोषणा की।

बेस्ट फ्रेंड वीकेंड 23 जून से 25 जून
मनुष्य और पशुओं की दोस्ती सदियों पुरानी है। जब हम मनुष्य की मनुष्य से दोस्ती के सम्मान के नाम साल का एक दिन कर सकते हैं तो एक दिन मनुष्य और पशु की दोस्ती के नाम क्यों न किया जाए ? लगता है, ऐसा ही विचार बेस्ट फ्रेंड एनिमल सोसायटी के सदस्यों के मन में भी आया होगा, तभी उन्होंने पशुओं के सम्मान में बेस्ट फ्रेंड वीकएंड मनाने की शुरुआत की। उनकी इस शुरुआत को भी पशु-प्रेमियों की सराहना मिली। काम के बोझ तले दबे लोगों को हँसने और खुशियाँ मनाने का एक मौका मिल गया। फिर शुरू हो गया सिलसिला बेस्ट फ्रेंड वीकेंड मनाने का।

ओल्ड फ्रेंड न्यू फ्रेंड वी
मई माह के तीसरे सप्ताह को ओल्ड फ्रेंड, न्यू फ्रेंड वीक की तर्ज पर मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत डॉ जेन येगर ने सन् 1997 में की थी। उनका मानना है कि विश्व में जिस अनुपात में तकनीकी और आर्थिक तरक्की हुई है, उसी अनुपात में हमारे जीवन में तनाव व अन्य समस्याएँ बढ़ी हैं। इन सभी समस्याओं से निजाद पाने का एकमात्र उपाय है दोस्ती। पुराने दोस्तों के लिए हर व्यक्ति के दिल में एक खास जगह होती है। अगर हर साल इस रिश्ते पर जमी समय की धूल को झाड़ लिया जाए तो न केवल रिश्ता जीवित हो जाता है, बल्कि हमारे अंदर भी नई ऊर्जा भर देता है। इस ऊर्जा को पाने का एक बहाना है - ओल्ड फ्रेंड, न्यू फ्रेंड वीक

दोस्ती का महीन
फ्रेंडशिप डे भले ही अगस्त माह में मनाया जाए, लेकिन दोस्ती का महीना कहलाने का सौभाग्य मिला है, फरवरी को। यूँ भी इस महीने में युवा दिलों का पसंदीदा दिन वैलेंटाइन डे आता है। जब प्यार ने इस महीने की 14 तारीख को अपना बनाया है तो दोस्ती भला प्यार से अलग कैसे रहती? सो बन गया फरवरी मंथ ऑफ फ्रेंडशिप।