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Written By ND

साड़ी है ऑल टाइम फेवरेट

साड़ी
ND
चाहे कि‍तने ही जमाने लद जाए, चाहे कि‍तने ही फैशन आए और जाए लेकि‍न साड़ी आज भी इंडि‍यन वुमन की ऑल टाइम फेवरेट च्वाइस है। इसीलि‍ए तो फैशन वर्ल्‍ड में भी इसे खासी तवज्जो दी जाती रही है। नतीजतन साड़ी बि‍जनेस आज एक अलग पहचान बना चुका है लेकिन पहनने में कंफरटेबल होने के कारण सलवार-सूट व जींस से साड़ियों को कड़ी टक्कर मिल रही है।

सूट-सलवार व जींस से कड़ी टक्कर मिलने के बावजूद साड़ी कारोबार नए आयाम स्थापित कर रहा है। साड़ियों का व्यवसाय हर जगह बहुतायत में होता है। वैसे भी इन दिनों शादियों का मौसम है, ऐसे में साड़ियों की बिक्री खूब धड़ल्ले से हो रही है।

आधुनिकता की दौड़ में माँ-बेटी की पहली पसंद होने के चलते जींस से साड़ियों को कड़ी चुनौती मिल रही है। सूट-सलवार भी इस मुकाबले में शामिल हैं लेकिन इस सबके बावजूद साड़ी का अपना क्रेज है। साड़ी कारोबारियों के मुताबिक, यह सही है कि पिछले कुछ वर्षों में करवा चौथ के दौरान साड़ियों की होने वाली बिक्री में करीब 30 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।

शादी-विवाह व अन्य पारिवारिक समारोहों के लिए साड़ी खरीदना महिलाओं की पहली पसंद होती है। इतना ही नहीं, साड़ी कारोबार के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि महिलाओं द्वारा किसी साड़ी को दो-चार बार पहनने के बाद वह उनके लिए पुरानी हो जाती है, जबकि पुरुषों के लिए पैंट-कमीज छह माह तक नए जैसे ही रहते हैं।

ऐसे में जींस व सूट-सलवार बेशक खूब बिक रहे हों लेकिन साड़ियों को इनसे कोई खतरा नहीं है। साड़ी व्यवसाय को आज ही नहीं भविष्य में भी कोई खतरा नहीं दिख रहा। हालाँकि यह बात जुदा है कि चलन के मुताबिक डिजाइन व फैब्रिक में बदलाव होता रहता है। नतीजतन कभी एंब्रॉयड्री की डिमांड ज्यादा रहती है तो कभी सिल्क साड़ियों की मांग बढ़ जाती है।

एंब्रॉयड्री साड़ियों की धूम
इन दिनों कंप्यूटरीकृत एंब्रॉयड्री वाली साड़ियों की सबसे अधिक माँग है। उनमें भी सूरत से आने वाली साड़ियों को ज्यादा पसंद किया जाता है। सिथेटिंक साड़ियों की बिक्री बारह महीने कमोबेश एक-सी रहती है। हथकरघा साड़ियाँ लखनऊ, कोलकाता व बरेली से काफी आती हैं, जबकि बेंग्लुरु व बनारस से सिल्क साड़ियों की सप्लाई अधिक होती है। ब्रांडेड कंपनी की साड़ियों का इन दिनों अपना एक बड़ा बाजार है। महिलाएँ इस तरह की साड़ियाँ खूब पसंद कर रही हैं।