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Last Updated : सोमवार, 22 फ़रवरी 2021 (00:37 IST)

Farmers protest : किसानों ने तैयार की आंदोलन तेज करने की रणनीति, 23 से 27 तक कई कार्यक्रम

Farmers protest : किसानों ने तैयार की आंदोलन तेज करने की रणनीति, 23 से 27 तक कई कार्यक्रम - from 23 to 27 february there will be many programs to intensify the farmers movement
नई दिल्ली/गाजियाबाद/ ग्वालियर / मेरठ। केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपना आंदोलन तेज करने के लिए 23 से 27 फरवरी के बीच कई कार्यक्रम आयोजित करने की रविवार को घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि वे प्रदर्शन को लंबे समय तक चलाने के लिए जल्द ही नई रणनीति तैयार करेंगे।
 
प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत 23 फरवरी को ‘पगड़ी संभाल दिवस’ और 24 फरवरी को ‘दमन विरोधी दिवस’ मनाया जाएगा और इस दौरान इस बात पर जोर दिया जाएगा कि किसानों का सम्मान किया जाए और उनके खिलाफ कोई ‘‘दमनकारी कार्रवाई’’ नहीं की जाए।
 
मोर्चा ने कहा कि 26 फरवरी को ‘युवा किसान दिवस’ और 27 फरवरी को ‘मजदूर किसान एकता दिवस’ मनाया जाएगा।

किसान नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी, उन्हें हिरासत में लेने और उनके खिलाफ मामले दर्ज कर हर दमनकारी उपाय अपना रही है। सिंघू बॉर्डर पर किलेबंदी कर दी गई है और वह एक अंतरराष्ट्रीय सीमा की तरह प्रतीत होता है।
 
उन्होंने कहा कि संसद के 8 मार्च से शुरू हो रहे सत्र के मद्देनजर आंदोलन के लिए दीर्घकालिक योजना पर चर्चा की जाएगी और एसकेएम की अगली बैठक में रणनीति साझा की जाएगी। मोर्चों के अन्य नेता दर्शन पाल ने भी सरकार पर ‘दमन’ का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 122 लोगों में से 32 को जमानत मिल चुकी है।
मौत का वारंट हैं : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को किसान नेताओं के साथ बैठक में कहा कि तीनों कृषि कानून, किसानों के लिए ‘मौत का वारंट’ हैं। केजरीवाल ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान नेताओं को दोपहर के भोजन पर दिल्ली विधानसभा में आमंत्रित किया था।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इन कानूनों को लागू किया जाता है तो भारत की कृषि कुछ उद्योगपतियों के हाथों में चली जाएगी और किसान बर्बाद हो जाएंगे। अगर इन कानूनों को लागू किया जाता है तो भारत के किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन जाएंगे। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार सभी तीन ‘काले कानूनों’ को तुरंत वापस ले और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप सभी 23 फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए। 
 
बैठक में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 40 से अधिक किसान नेताओं ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय जाट महासंघ के किसान नेता रोहित जाखड़ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार जहां गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट रही है, वहीं केजरीवाल की सरकार पानी एवं शौचालय मुहैया कराके किसानों के प्रदर्शन का समर्थन कर रही है।
गुजरात जाएंगे टिकैत : किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वे केंद्र के विवादित कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के लिए समर्थन मांगने के वास्ते जल्द गुजरात का दौरा करेंगे। टिकैत ने यह टिप्पणी दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाज़ीपुर में गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों के एक समूह से मुलाकात के दौरान की। टिकैत गाज़ीपुर बॉर्डर पर नवंबर से डेरा डाले हुए हैं।
 
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दावा किया कि किसान अंततः अपनी कृषि उपज का कोई हिस्सा नहीं ले पाएंगे क्योंकि नए कानून केवल कॉरपोरेट का पक्ष लेंगे। बीकेयू की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक कि हम ऐसी स्थिति नहीं होने देंगे। हम सिर्फ इसे लेकर चिंतित हैं और हम यह नहीं होने देंगे कि इस देश की फसल को कॉरपोरेट नियंत्रित करे। गुजरात के गांधीधाम से आए समूह ने टिकैत को 'चरखा' भेंट किया।
 
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने ब्रिटिश को भारत से भगाने के लिए चरखा का इस्तेमाल किया। अब हम इस चरखे का इस्तेमाल करके कॉरपोरेट को भगाएंगे। हम जल्द ही गुजरात जाएंगे और नए कानूनों को रद्द करने के लिए किसानों के प्रदर्शन के वास्ते समर्थन जुटाएंगे। इस बीच, हरियाणा के रोहतक जिले की 20 से अधिक महिलाएं गाज़ीपुर में आंदोलन में शामिल हुईं और आंदोलन को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया।
 
राज्यमंत्री को झेलना पड़ा लोगों का गुस्सा : किसानों के आंदोलन के बीच किसानों और खाप चौधरियों से बातचीत करने गए केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान और भाजपा के अन्य नेताओं को शामली जिले में रविवार को किसानों की खासी नाराजगी झेलनी पड़ी।
 
भैंसवाल गांव में खाप चौधरियों ने भाजपा प्रतिनिधिमंडल में शामिल केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान, पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह समेत कई भाजपा नेताओं से मिलने तक से इंकार कर दिया। किसानों से बातचीत करने जा रहे भाजपा नेताओं का ग्रामीणों ने ट्रैक्टर लगाकार कई जगह काफिला रोक दिया और भाजपा और मंत्रियों के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। विरोध के बीच बालियान ने कहा कि चंद लोगों के विरोध से वह रुकने वाले नहीं है।
 
अमित शाह ने दी है जिम्मेदारी : गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा से जुड़े किसान नेताओं और खास तौर से जाट नेताओं को खाप चौधरी और किसानों के बीच पहुंच कर कृषि कानूनों को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की जिम्मेदारी दी है। इसी कड़ी में बालियान का काफिला रविवार को भैंसवाल गांव पहुँचा था, जहाँ पर एकत्र हुए किसानों ने बालियान और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की।
 
किसानों ने नारा लगाया कि पहले तीनों कानून वापस कराओ, फिर गांव में आओ। किसानों के विरोध के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चंद लोगों के विरोध के चलते वह रुकने वाले नहीं है और किसानों को सच्चाई बताने का काम करते रहेंगे। स्थानीय किसान नेता सवीत मलिक ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री बालियान समेत भाजपा के कई जनप्रतिनिधि भैंसवाल गांव में आए थे, जिनका विरोध हुआ और सरकार पहले दिन से इसे चंद किसानों का आंदोलन बताने की भूल कर रही है।
तोमर बोले कानूनों में किसानों के खिलाफ क्या है : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कहा कि भीड़ एकत्र करने से कानून नहीं बदलते। उन्होंने कहा कि किसान यूनियन बताएं कि इन कानूनों में किसानों के खिलाफ क्या है और सरकार उसमें संशोधन करने को तैयार है।
 
तोमर ने ग्वालियर में संवाददाताओं से कहा कि केन्द्र सरकार ने संवेदनशीलता के साथ किसान संगठनों से 12 दौर की बातचीत की है, लेकिन बातचीत का निर्णय तब होता है जब आपत्ति बताई जाए। उन्होंने कहा कि  सीधा कहोगे कानून हटा दो। ऐसा नहीं होता है कि कोई भीड़ इकट्ठा हो जाए और कानून हट जाए। 
 
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान संगठन बताएं कि इन नए कानूनों में किसान के खिलाफ क्या है? लेकिन भीड़ एकत्र करने से कानून नहीं बदलता है। तोमर ने कहा कि किसान संगठन यह तो बताएं कि आखिर कौन से प्रावधान हैं जो किसानों के खिलाफ हैं? इसे सरकार समझने को तैयार है और संशोधन करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि किसान के हितों के मुद्दे पर सरकार आज भी संशोधन करने को तैयार है और इस बारे में तो स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कह चुके हैं। (भाषा)
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