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Last Modified: शनिवार, 9 जनवरी 2021 (20:05 IST)

Kisan Andolan : अमेरिकी NGO ने किसानों के बीच आत्महत्या प्रयास रोकने के लिए शुरू की काउंसलिंग

Kisan Andolan : अमेरिकी NGO ने किसानों के बीच आत्महत्या प्रयास रोकने के लिए शुरू की काउंसलिंग - American NGO begins counseling to prevent suicide attempts among farmers
नई दिल्ली। 3 कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के तहत दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब 40 दिनों से डटे रहने के दृढ़ संकल्प के बावजूद कई प्रदर्शनकारी चिंता एवं अवसाद से ग्रहित हो रहे हैं तथा कुछ किसानों की इस कड़ाके की ठंड में मौत हो गई है। अमेरिकी एनजीओ 'यूनाइटेड सिख' ने सिंघू बॉर्डर स्थित प्रदर्शन स्थल के हरियाणा की ओर स्थापित अपने शिविर में किसानों के लिए एक काउंसलिंग सत्र शुरू किया है।

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारी संख्या में किसान 26 नवंबर से सिंघू बॉर्डर और दो अन्य स्थलों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान में उनकी गतिहीन जीवन शैली और मनोवैज्ञानिक अवसाद से उन पर शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ रहा है।

सिंघू बॉर्डर पर चिकित्सा शिविर चलाने वाले गैर सरकारी संगठनों के अनुसार, ये किसान काफी साहसी हैं, लेकिन कुछ प्रतिकूल मौसम की स्थितियों का सामना करने के चलते तनाव में हैं। हालांकि इनके मानसिक बोझ को कम करने के लिए अमेरिकी एनजीओ ‘यूनाइटेड सिख’ ने सिंघू बॉर्डर स्थित प्रदर्शन स्थल के हरियाणा की ओर स्थापित अपने शिविर में किसानों के लिए एक काउंसलिंग सत्र शुरू किया है।

शिविर में एक मनोवैज्ञानिक एवं स्वयं सेवक सान्या कटारिया ने कहा कि कई किसानों की इस आंदोलन के दौरान मृत्यु हो गई है और कुछ ने अपनी जान दे दी है। हो सकता है कि उनमें मजबूत दृढ़ संकल्प हो लेकिन अत्यधिक ठंड, कठित परिस्थितियों के साथ ही खेतों में सक्रिय नहीं रहने के कारण जीवनशैली में बदलाव के चलते उनके ​​अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका है।

नोएडा के एक निजी विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट इन साइकोलॉजी की छात्रा सान्या पिछले कुछ दिनों से यूनाइटेड सिख के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने कहा कि ये किसान इस आंदोलन के तहत एक राष्ट्रीय राजमार्ग पर 40 दिनों से अधिक समय से बैठे हुए हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश कठोर स्थिति और ठंड का सामना कर सकते हैं क्योंकि वे कड़ी मेहनत करने के आदी हैं लेकिन उनमें से कुछ चिंता, अवसाद से ग्रसित हो गए हैं। यह खतरनाक है।

कटारिया ने कहा कि काउंसलिंग के लिए शिविर में आने वालों में बेचैनी, सिरदर्द सामान्य लक्षण देखे गए हैं। यह पूछे जाने पर कि एक काउंसलिंग सत्र के दौरान किस तरह की गतिविधियां की जाती हैं, चिकित्सकीय स्वयं सेवक ने कहा कि मुख्य उद्देश्य उन्हें एक नकारात्मक विचार करने से रोकना होता है।

उन्होंने कहा, इसलिए हम उनका ध्यान दूसरी ओर लगाने का प्रयास करते हैं। हम उनसे पांच चीजों के नाम पूछते हैं जिन्हें वे चारों ओर देख सकते हैं, चार चीजें जो वे छू सकते हैं आदि। दिल्ली में यूनाइटेड सिख इंडिया के कार्यालय में सहायक समन्वयक गुरदीप कौर का कहना है कि सिंघू बॉर्डर पर आत्महत्या करने वाले कई किसानों की ख़बरों ने हमें बहुत परेशान किया है।

उन्होंने कहा, हम नहीं चाहते कि कोई किसान मरे और हम आत्महत्या के प्रयासों को रोकना चाहते हैं। इसलिए हमारी काउंसलिंग उनके दिमाग को शांत करती है। हम किसानों से बाद के सत्रों के लिए आने के लिए भी कहते हैं।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हाल ही में दावा किया था कि विरोध प्रदर्शन के दौरान 47 किसानों ने अपना जीवन बलिदान किया है।

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 75 वर्षीय एक किसान ने इस महीने की शुरुआत में गाजीपुर में उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर फांसी लगा ली थी। कोलकाता स्थित एक स्वयंसेवी संगठन मेडिकल सर्विसेज सेंटर (एमएससी) भी नवंबर के अंत से विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से एक शिविर चला रहा है।

सिंघू बॉर्डर पर पिछले कुछ दिनों से सेवाएं दे रही एक चिकित्सक डॉ. निकिता मुरली ने कहा, विरोध प्रदर्शन में शामिल कई महिलाओं को स्वास्थ्य दिक्कतें हैं। उन्होंने कहा, लगातार बैठने या रसोई में लंबे समय तक खाना पकाने से जोड़ों का दर्द हो रहा है, कई किसान ब्लड शुगर के अनुचित स्तर या रक्तचाप की समस्याओं के साथ हमारे पास आ रहे हैं। सिरदर्द और शरीर में दर्द भी उनके बीच आम समस्या है।(भाषा)
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