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गुरुवार, 19 सितम्बर 2013 (11:33 IST)
कुमारी मायावती : प्रोफाइल
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उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख कुमारी मायावती का जन्म नई दिल्ली स्थित श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में 15 जनवरी 1956 को हुआ था। उनके माता-पिता जाटव-चमार बिरादरी के हैं।
वे बचपन से जिला मजिस्ट्रेट बनना चाहती थीं, मगर उनका यह सपना पूरा न होकर कभी न देखा जाने वाला सपना पूरा हो गया और वे उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य की चार बार मुख्यमंत्री बन गईं।
मायावती की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली और दिल्ली के आस-पास के स्कूलों से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय के बीएमएलजी कॉलेज से बीएड की उपाधि ली और दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।
मायावती ने राजनीति में आने से पहले लंबे समय तक स्कूल टीचर का कार्य किया। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं उनके मेंटर कांशीराम ने उन्हें राजनीति के गुर सिखाए। इस दौरान कांशीराम ने उन्हें बताया कि कैसे वे सभी जिला मजिस्ट्रेटों का विश्वास जीतकर राजनीति की रानी बन सकती हैं। उनका यह सपना 1995 में पूरा हुआ, जब वे राज्य व देश की पहली दलित व लो कास्ट महिला मुख्यमंत्री बनीं।
मायावती ने राजनीति की शुरुआत 1984 में कांशीराम द्वारा बनाई गई बहुजन समाज पार्टी से की। कांशीराम ने डॉ. भीमराव अंबेडकर से प्रभावित होकर तथा दलितों के उत्थान के लिए यह पार्टी बनाई थी। उन्होंने मुजफ्फरनगर जिले की कैराना लोकसभा सीट पर पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार की कमान संभाली। इसी दौरान उनके नाम के साथ 'बहनजी' शब्द जुड़ गया।
इसके बाद उन्होंने 1985 में बिजनौर तथा 1987 में हरिद्वार से चुनाव लड़ा जिसमें वे हार गईं। 1989 में वे पहली बार बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव जीतीं। इस दौरान पार्टी ने लोकसभा चुनाव में केवल 3 तथा 1991 में 2 सीटें जीत पाईं।
1994 में मायावती पहली बार उत्तरप्रदेश राज्यसभा के लिए चुनी गईं और 1995 में वे पार्टी की प्रमुख बनीं। इसी दौरान वे राज्य के इतिहास में सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री तथा देश की पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं। 1996 में वे दो लोकसभा सीट से जीत हासिल की जिसमें से उन्होंने हरोरा लोकसभा सीट अपने पास रखी।
वे 1997 तथा 2002 में भारजीय जनता पार्टी के सहयोग से कुछ दिनों के लिए मुख्यमंत्री बनीं। 2001 में कांशीराम ने मायावती को पार्टी की सफलता का श्रेय दिया।
2007 में राज्य विधानसभा के चुनाव में बीएसपी पहली बार पूर्ण बहुमत में आई और बिना किसी राजनीतिक पार्टी के सहयोग के उत्तरप्रदेश में पहली पूर्णरूपेण दलित पार्टी सरकार बनाई।
इस चुनाव में उनका स्लोगन था- 'हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा, विष्णु महेश हैं'। 2009 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के बाद सबसे ज्यादा 20 सीटें जीतीं और केंद्र में यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दिया।
मई 2012 में हुए उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ज्यादा सीटें नहीं जीत पाईं जिसके कारण उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया जिसके बाद राज्य में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने राज्य में सरकार बनाई।
मायावती ने अपने शासनकाल में राज्य में कई ड्रीम प्रोजेक्ट पूरे किए जिसमें से कांशीरामजी ग्रीन गार्डन, राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल और ग्रीन गार्डन तथा डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल का निर्माण कराया।
मायावती अपने शासनकाल में कई कारणों से विवादों में रहीं। इनमें से अपने 31वें जन्मदिन पर पैसों की गढ़ी माला पहनने, नोएडा-आगरा एक्सप्रेस वे बनाने के दौरान भट्टा-परसौल गांव की घटना तथा राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल सहित कई स्थलों पर अपनी मूर्तियां स्थापित करने को लेकर आज तक विवादों में हैं।