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Written By WD Feature Desk

Papmochani ekadashi: पापमोचनी एकादशी व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति, जानें व्रत करने की विधि

समस्त पापों से मुक्ति दिलाती है पापमोचनी एकादशी

Papmochani ekadashi: पापमोचनी एकादशी व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति, जानें व्रत करने की विधि - Papmochani Ekadashi Vrat Kaise Karen
HIGHLIGHTS
 
• पापमोचनी एकादशी का महत्व जानें। 
• पापमोचनी एकादशी कैसे करें व्रत।
• होगी भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा। 

 
importance of papmochini ekadashi: पापमोचनी एकादशी इस बार 05 अप्रैल, शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर एकादशी व्रत मनाया जाता है। और भक्त इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हुए व्रत रखते हैं।

पूरे साल भर में मनाए जाने वाले सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु की आराधना के माने गए हैं। पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के मोक्ष का द्वार खुल जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी व्रत किया जाता है। पापमोचिनी एकादशी होली के पश्चात और नवरात्रि के पहले पड़ रही है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पापमोचनी एकादशी को पापों का नाश करने वाली माना जाता है। इस एकादशी का मूल अर्थ हर तरह के पाप से मुक्ति दिलाने वाला व्रत। इस व्रत को करने से तन-मन की शुद्धता प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत के दौरान जो व्रती गलत कार्यों को नहीं करने का संकल्प लेता है, उसके सभी दुख भी दूर हो जाते हैं। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती होती है। 
 
भविष्योत्तर पुराण और हरिवासर पुराण में पापमोचनी एकादशी के बारे में उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है उसे गाय दान करने जितना पुण्य मिलता है। तथा सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से मनुष्य जहां विष्णु पद को प्राप्त करता है, वहीं उसके समस्त दोष समाप्त होते हैं तथा मन निर्मल होकर उसमें श्री हरि का वास हो जाता है।

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करने का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने से कष्टों का निवारण होता है और भगवान विष्णु की असीम कृपा बरसती है। साथ ही श्रीहरि के पूजन माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है। 
आइए यहां जानें व्रत करने की विधि : 
 
• इस एकादशी के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ-स्वच्छ धुले हुए वस्‍त्र धारण करके व्रत का संकल्‍प लें। 
 
• घर के मंदिर में पूजा करने से पहले वेदी बनाकर 7 अनाज (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
 
• वेदी के ऊपर कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।
 
• वेदी पर भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर स्थापित करें और भगवान को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।
 
• फिर धूप-दीप से विष्‍णु की आरती उतारें।
 
• शाम के समय भगवान विष्‍णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
 
• पापमोचिनी एकादशी व्रत करें तो रात में सोना नहीं चाहिए बल्‍कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
 
• अगले दिन भूखे गरीब को भोज कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
 
• इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।
 
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