रोजा क्या है और इसे कैसे रखें...
रोजा अल्लाह की इबादत का एक तरीका है। रोजा का अर्थ सिर्फ भूखा-प्यासा रहना नहीं है। रोजा के दौरान हमको खाने-पीने से तो बचना ही है लेकिन पेट के अलावा हमारे पूरे बदन का रोजा होता है, जैसे हमारी आंख का रोजा, जुबान का रोजा, कान का रोजा, हाथ का रोजा, पांव का रोजा आदि। * आंख के रोजे से मतलब यह है कि रोजा के दौरान आंख किसी पराई औरत को न देखें, नाच-गाना न देखें (क्योंकि उसमें भी पराई औरतें नाचती-गाती) हैं। * जुबान का रोजा मतलब हमारी जुबान से गाली न निकले, झूठ न निकले, किसी की पीठ पीछे बुराई न निकले, चुगली न हो, दो लोगों की लड़ाने वाली बात न निकले।
* कान का रोजा मतलब अगर कोई किसी की बुराई कर रहा हो तो हमारे कान उसको मजा लेकर न सुने, किसी के राज न सुने, संगीत न सुने। * हाथ का रोजा मतलब हमारे हाथ किसी पर जुल्म के लिए नहीं उठे, हमारे हाथों से किसी को तकलीफ न पहुंचे। * पांव रोजा मतलब हमारे पांव बुरे कामों की तरफ चलकर न जाएं। रोजे में खाने-पीने से बचने के अलावा सभी बुराइयों से बचना जरूरी है तभी हम रोजे के असली उद्देश्य तक पहुंच पाएंगे। ऐसा रोजा की अल्लाह की नजर में एहमियत (विशिष्ठता) रखता है। अल्लाह हम सबको रोजे के दौरान सभी तरह के गुनाहों के बचाए और हमारे टूट-फूटे रोजों को कुबूल फरमाए।