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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 31 मार्च 2025 (09:48 IST)

रमजान के पवित्र महीने में क्यों रखे जाते हैं रोजे, जानिए क्यों मनाई जाती है मीठी ईद

meethi eid kyon manae jaati hai: रमजान के पवित्र महीने में क्यों रखे जाते हैं रोजे, जानिए क्यों मनाई जाती है मीठी ईद, जानिए कारण - meethi eid kyon manae jaati hai
Eid al-Fitr 2025: ईद उल-फितर इस्लाम धर्म के खास त्योहारों में से एक प्रमुख त्योहार है। रमजान पाक महीने के बाद मनाया जाता है 'मीठी ईद' का त्योहार जिसे 'रमजाम ईद' भी कहा जाता है। इस्लाम में अल्लाह के नाम के रोजे रखे जाने की परंपरा है जो इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, नौवें महीने में रखे  जाते हैं। रोजे रखने की अवधि 29 या 30 दिनों की होती है। रोजों के नियम के अनुसार इन दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग हर सुबह सूर्योदय से उठाकर सहरी के समय खाना खाते हैं। फिर पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए उपवास रखा जाता है। शाम को सूर्यास्त के बाद ईफ्तारी के साथ रोजा खोला जाता है। आखिरी रोजे की ईफ्तारी के बाद चांद के दीदार के साथ ईद उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। 

रोजे रखने का कारण
मुस्लिम धार्मिक मान्यताओं अनुसार साल 610 में हजरत मोहम्मद साहब को लेयलत उल-कद्र के मौके पर कुरान शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था। कहा जाता है कि तभी से रमजान को इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाने लगा। ऐसे में नौवें महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह के नाम का रोजा रखते हैं। मान्यता है इस महीने में जो कुरान की पवित्र पुस्तक को पढ़ता है उसे खुदा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  
रोजे के बाद क्यों मनाई जाती है मीठी ईद?
इस्लामिक कैलेंडर में 10वां महीना 'शव्वाल' कहा जाता है। नवे महीने में 29 या 30 दिन के रोजे के बाद आखिरी रोजी के दिन चांद के दीदार के साथ रमजान का पाक महीना समाप्त हो जाता है। इसके बाद 10वें महीने यानी 'शव्वाल' की पहली तारीख को ईद उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। क्योंकि इस खास दिन का उत्सव मनाने के लिए मीठे पकवान बनाए जाते हैं इसलिए इसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। 

इस्लामी मान्यताओं के अनुसार रोजे का अर्थ भूखे या प्यास रहना नहीं है। असल में रोज के माध्यम से इंसान अपनी इच्छाओं पर काबू रखना सीखना है। रमजान का महीना सब्र और सहनशीलता के साथ आध्यात्मिक शुद्धि का महीना होता है।

यह भी मान्यता है कि 624 ईस्वी में पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। तब अपनी सफलता की खुशी में उन्होंने लोगों का मुंह मीठा कराया था और पहली बार पैगंबर मुहम्मद ने ही ईद मनाई थी।
रमजान समाप्त होने के बाद ईद का जश्न इस बात का भी प्रतीक है कि रोजे रखने वाले अपने संयम की परीक्षा में कामयाब हुए। ईद के दिन इस्लाम धर्म के लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों के साथ खुशियां बांटते हैं। 
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