• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. व्रत-त्योहार
  4. »
  5. विजयादशमी
  6. विजयादशमी : रामराज्य की स्थापना का दिन
Written By WD

विजयादशमी : रामराज्य की स्थापना का दिन

विजयादशमी
FILE

यह शक्ति के जागरण और आराधना का समय है। यह ऋतु संघर्षों में से विजय को प्राप्त करने का उत्कर्ष पर्व है। यह ऋतु कृष्ण के महारास के समय छिटकी राधा की ही शारदीय आभा है। यह शरद ऋतु का पर्व है। निर्मलता की ऋतु है। फसलों में दानों के भराव की ऋतु है।

नदियों और सरोवरों में ओस भीगी सुबह के मुंह धोने की ऋतु है। यह प्रकृति और हरसिंगार के झरने की वेला है। यह खेतों की संपन्नता की घड़ी है। यह शस्य-श्यामला भूमि के मुस्कराने और इठलाने का समय है। यह खेतों की मेड़ों पर कांस के खिलखिलाने का काल है।

यह धान्य के रूप में लक्ष्मी के स्वागत की वेला है। विजयादशमी कभी अकेले नहीं आती। इस महादेश के सांस्कृतिक हिमालय और विन्ध्याचल से निकलती, कल-कल करती, तटों को सींचती और अनुष्ठानों को संपन्न करती अनेक सरिताओं की धारा को विजयादशमी का जयघोष तरंगायित करता आता है।

मनुष्यों और देवताओं की मुक्ति की कामना में यह आकांक्षा पल्लवित होती है। राम के नेतृत्व में संपूर्ण भारतीय समाज की एकसूत्रता में यही आकांक्षा गहरी और सघन होती है। रावण के मरण के साथ ही सारे भारतवर्ष से राक्षसी उपनिवेशवाद की समाप्ति में यह आकांक्षा फलवती होती है।

रामराज्य की स्थापना के साथ ही समाज के नवनिर्माण और प्रजातांत्रिक राज व्यवस्था, न्याय व्यवस्था की मूल्य-प्रतिस्थापना के बीज रूप में निःशेष हो जाने में यह आकांक्षा अपने एक यात्रा-चक्र का लक्ष्य पूरा करती है।

यह सृष्टि की अनंत-अनंत यात्राओं में त्रेता की एक समुन्नत यात्रा का पूर्णाहुत है। विजयादशमी के सामाजिक संदर्भ वहां तक फैले हैं, जहां समाज की पंक्ति का अंतिम व्यक्ति खड़ा है।