राम की जययात्रा के ध्वजधारी जितने-हनुमान, सुग्रीव, जामवन्त हैं, उतने कहीं गिद्धराज जटायु और संपाती हैं। जो जहाँ है, वह वहाँ से सत्य का समर्थन करते हुए असत्य को ललकार रहा है। जटायु ने दो महत्वपूर्ण कार्य किए, जिससे राम की जय यात्रा की दिशा इंगित होती।
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