4 दिसंबर को 11 वाँ हेपेटाइटिस बी दिवस है। हेपेटाइटिस एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य समस्या है। यह विश्व में 10 महत्वपूर्ण हत्यारी बीमारियों में से एक है। विश्व भर में 350 मिलियन हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव लोग हैं। हेपेटाइटिस बी संक्रमण से प्रतिवर्ष 1 मिलियन लोग मरते हैं, जिसके कारण यह विश्व भर में मृत्यु की बनने वाली 9 वीं बड़ी बीमारी है। हेपेटाइटिस से प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या एड्स के मुकाबले 10 गुना है।
भारत में हेपेटाइटिस काफी प्रचलित और गंभीर बीमारी है। यह अनुमान है कि लगभग 45 मिलियन भारतीय हेपेटाइटिस बी और 15 मिलियन भारतीय हेपेटाइटिस सी का शिकार हैं। यह लीवर के खराब होने और लीवर कैन्सर के सबसे सामान्य कारण हैं। हेपेटाइटिस ए एवं बी कुछ मौलिक जीवनचर्या के बदलाव और थोड़ी दवाई से रोके जा सकते हैं। भारत में सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस ई और दूसरे नम्बर पर सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस बी के मरीज+ हैं। जानकारी ही रोकथाम का मंत्र है, हेपेटाइटिस के संक्रमण के संबंध में जानकारी के द्वारा हेपेटाइटिस की रोकथाम संभव है। इस बीमारी एवं इसकी रोकथाम के बारे में सामान्य जनता और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच जानकारी के और ज्यादा प्रसार की आवश्यकता है।
इस दिशा में भोपाल के दो डॉक्टर 4 दिसम्बर 2008 से अपने प्रयासों द्वारा जानकारी बढ़ाने का काम कर रहे हैं। डॉ. आर. के. जैन स्क्रीनिंग और वैक्सीनेशन कैम्प आयोजित कर रहे हैं। वह मध्यप्रदेश में सभी ब्लड बैंक स्टाफ, नागरिकों और हॉस्पिटल के डॉक्टरों को जानकारी देंगे। डॉ. सुबोध वार्ष्णेय 500 एन. सी. सी. कैडेट्स के साथ एक मैराथन और आई. ए. एस. एवं आई. पी. एस. ऑफिसर्स के साथ एक सायकल रैली आयोजित कर रहे हैं।
इसमें स्कूल के बच्चों, टीचर्स, और हेल्थ केयर पर्सनल और सामान्य जनता की सकारात्मक भागीदारी होगी। सभी प्रतियोगियों एवं स्वास्थ्य सेवाकर्ताओं को इस ईवेन्ट के दौरान हेपेटाइटिस बी और सी के बारे में सलाह दी जाएगी एवं उनकी जाँच की जाएगी।
हेपेटाइटिस के बारे में तथ्य
भारत में दूसरे नम्बर पर सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस बी मरीज+ और सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस सी के मरीज+ हैं।
लगभग 4 प्रतिशत भारतीयों में हेपेटाइटिस बी वायरस है और वायरस के कुल वाहकों की संख्या 45 मिलियन है। हेपेटाइटिस बी एच. आई. वी. के मुकाबले 4 गुना ज्यादा संक्रामक है। एच. आई. वी. के संक्रमण के लिए 0.1 मि. ली., हेपेटाइटिस सी के संक्रमण के लिए 0.01 मि. ली. लेकिन एच. बी. वी. के लिए मात्र 0.00007 मि. ली. की आवश्यकता होती है।
एच. आई. वी. की तुलना में हेपेटाइटिस बी भारत में 7 गुना ज्यादा फैला है।
एच. बी. वी. से संक्रमित युवा बच्चों में क्रोनिक संक्रमण होने की अत्यधिक संभावना रहती है।
बचपन में क्रोनिकली संक्रमित हुए लागों में एच. बी. वी. के कारण लीवर कैन्सर और कीरोसिस से होने वाली मृत्यु का खतरा लगभग 25 प्रतिशत होता है।
भारत में एच. बी. वी. के कारण लीवर कैन्सर पुरुषों में कैन्सर के कारण होने वाली मृत्यु के पहले तीन कारणों में से एक है।
अकेले हेपेटाइटिस बी प्रतिवर्ष विश्व भर में 1 मिलियन लोगों को मारता है। लगभग 80 प्रतिशत लीवर कैन्सर हेपेटाइटिस बी के कारण होते हैं। आज जीवित 2000 मिलियन लोगों को उनके जीवन में कभी हेपेटाइटिस बी संक्रमण रहा है।
हेपेटाइटिस बी की दवाई का सुरक्षा एवं प्रभावशीलता के विषय में बेहतरीन रिकॉर्ड रहा है।
हेपेटाइटिस बी की दवाई कैन्सर की रोकथाम की क्षमता वाली एकमात्र दवाई है।
हेपेटाइटिस सी लीवर कीरोसिस और कैन्सर कर सकती है। यह एक मूक हत्यारी है। हेपेटाइटिस ए एवं ई लीवर को पूरी तरह खराब कर सकते हैं।
हेपेटाइटिस ई प्रसूता महिलाओं में बहुत खतरनाक है। यह माँ और बच्चे की मृत्यु का कारण बन सकती है।
भारत में हेपेटाइटिस ई के कारण सबसे ज्यादा मृत्यु होती हैं। हेपेटाइटिस ए एवं ई के लिए कोई विशेष एन्टीवायरल ड्रग मौजूद नहीं हैं।