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...तो दिवाली है
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अरुंधती आमड़ेकर हाथ से हाथ मिले तो कोई बड़ी बात नहीं।दिल से मिले दिल तो दिवाली है।।दुश्मनों से मुलाकात तो होती रहती है।दोस्तो से मिले नजर तो दिवाली है।।अंगारों पर चलने की तरकीब तो सीख ली।गुलों के बाग सजाओ तो दिवाली है।।दिल तो जला करते हैं अक्सर।दिल में दिए जलाओ तो दीवाली है।।उगते सूरज को सलामी दो लेकिन।काली रातें हों रोशन तो दिवाली है।।गरीबी में गीले होते रहते हैं आटे।मंदी को मुँह चिढ़ाओ तो दिवाली है।।लाशों पर कफन ओढाओ ये और बात है।मौत पर जश्न मनाओ तो दिवाली है।।रेत का फिसलना उसकी फितरत है।मुठ्ठी को लोहा बनाओ तो दिवाली है।।टूटते सितारों पर करो ख्वाहिशें मगर।खुद सितारा-सा चमको तो दिवाली।।मन्नतों से खुशियाँ मिले ये जरूरी नहीं।खुद का यकीं मिलाओ तो दिवाली है।।