कलयुग में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं बजरंगबली। श्री हनुमान इतने सिद्ध थे कि उनकी आवश्यकता श्रीराम तथा श्रीकृष्ण को भी पड़ी थी। मां सीता की खोज से लेकर रावण वध तक श्री हनुमान ने भगवान श्रीराम की सहायता की थी तो महाभारत में भी हनुमानजी के पराक्रमों की कई गाथाएं मिलती हैं।
प्राचीनकाल से ही सिद्ध हनुमान यज्ञ को सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाला, अपार धन-संपत्ति और विजय-प्रसिद्धि प्राप्ति के चमत्कारिक उपाय के रूप में माना जाता रहा है।
दीपावली के पूर्व आनेवाली कार्तिक चतुर्दशी का दिन हनुमानजी की उपासना के लिए अतिमहत्वपूर्ण माना गया है। अत: इस दिन हनुमानजी की आराधना करना चाहिए। पौराणिक ग्रंथों के हिसाब से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तथा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यह दोनों ही श्री हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाए जाते हैं।
प्रकांड पंडित भी मानते हैं कि हनुमान यज्ञ में इतनी शक्ति है कि अगर विधिवत रूप से यज्ञ को कर लिया जाए तो यह व्यक्ति की हर मनोकामना को पूरा कर सकता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी जातक हनुमान यज्ञ से माध्यम से हनुमानजी को पूजता है उसके जीवन के सभी संकटों पर विजय मिलती है और सभी समस्याएं निश्चित रूप से समाप्त हो जाती हैं।
प्राचीन ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है कि भारतीय राजे-महाराजे युद्ध में जाने से पहले हनुमान यज्ञ का आयोजन जरूर करते थे। हालांकि इस यज्ञ में कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है।
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इस यज्ञ को हर कोई नहीं करवा सकता। सिद्ध हनुमान यज्ञ के प्रतिष्ठान और पूर्ण करने के लिए एक सिद्ध ब्राह्मण/पंडित की आवश्यकता होती है। इसे पूर्ण विधि-विधान से करने से ही मनवांछित फल प्राप्त होता है। व्रत पूर्ण किया जा सकता है।
कैसे होता है यह सिद्ध यज्ञ : इस यज्ञ में हनुमानजी को मंत्रों के द्वारा स्मरण किया जाता है। इसके अलावा अन्य देवताओं की आराधना भी इस यज्ञ में की जाती है। माना जाता है कि इस यज्ञ में जैसे ही भगवान श्रीराम का स्मरण किया जाता है तो इस बात से प्रसन्न होकर हनुमानजी यज्ञस्थल पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में विराजमान हो जाते हैं।
सिद्ध हनुमान यज्ञ के लिए आवश्यक वस्तुएं : लाल फूल, रोली, कलावा, हवन कुंड, हवन की लकड़ियां, गंगाजल, एक जल का लोटा, पंचामृत, लाल लंगोट, 5 प्रकार के फल। पूजा सामग्री की पूरी सूची यज्ञ से पहले ही तैयार होनी चाहिए और एक बार किसी सिद्ध ब्राह्मण से चर्चा करनी चाहिए।
शुभ दिन : हनुमान यज्ञ के लिए रूप चौदस का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस यज्ञ को एक ब्राह्मण की सहायता से विधिवत पूरा ही करवाया जा सकता है।
पूजन विधि : हनुमानजी की एक प्रतिमा को घर की साफ जगह या घर के मंदिर में स्थापित करें और पूजन करते समय आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। इसके पश्चात हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र (प्रार्थना) से हनुमानजी का स्मरण करें-
इस मंत्र का करें ध्यान-
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ॐ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।
अब हाथ में लिया हुआ चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें। इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर 3 बार जल छोड़ें व निम्न मंत्र को जपें-
ॐ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अर्ध्यं समर्पयामि, आचमनीयं समर्पयामि।।
इसके पश्चात हनुमानजी को गंध, सिन्दूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। इसके पश्चातहनुमान चालीसाका कम से कम 5 बार जाप करें।
सबसे अंत में घी के दीये के साथ हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार यह यज्ञ और घर में इस प्रकार किया गया पूजन हनुमानजी को प्रसन्न करता है और सभी मनोकामनाओं को भी पूरा करता है।