विपश्यना ध्यान के सकारात्मक परिवर्तन
प्रेरणा, प्रतिक्रिया एवं प्रभाव...
विपश्यना साधना बहुत ही दृढ़ता से यह कहती है कि हम अपने मालिक आप हैं तथा हमने अपने मन पर मैल खुद चढ़ाए हैं, तो उन्हें साफ करने की जिम्मेवारी भी हमारी बनती है। इस तरह यह हमें आत्मनिर्भर बनाती है, ऐसा मजबूत इंसान जो अब अपनी मदद आप कर सकता है। अब विपश्यना ध्यान प्रणाली ने सरकारी और गैर सरकारी महकमों का ध्यान काफी आकर्षित किया है। जेलों में बंद कैदियों पर भी विपश्यना ध्यान के प्रभाव बहुत ही सकारात्मक परिवर्तन के साथ देखे गए हैं। विपश्यना साधना एवं उसके प्रभाव पर एक शोध महाराष्ट्र कैडर के एक वरिष्ठ अधिकारी डीआर परिहार (आईएफएस) ने किया है, जिसमें लगभग 89.1 % लोगों का यह मत रहा कि विपश्यना के अभ्यास से उनके जीवन के अनेक क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव नजर आए हैं। 94.9 % लोगों ने इसे एक वैज्ञानिक विधि माना है, जो मानव मन एवं उसके चरित्र को सुधारने की अद्भुत क्षमता रखती है। आज नैतिक मूल्यों में लगातार आती जा रही गिरावट का मूल कारण हमारा प्रदूषित मन ही है।भारत सरकार के एक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी अपने अनुभवों में कहते हैं- एक विलक्षण बदलाव मैंने यह देखा कि काम के दौरान अब निर्णय लेते समय मैं अपने मातहतों की बातों को अधिक सरलता से समझकर आत्मसात कर लेता हूँ और मेरे कनिष्ठ लोगों को सरलता से अपनी बात समझा पाता हूँ। इसी लक्ष्य के साथ मैंने अपने मंत्रालय के अधिकारियों को विपश्यना के दस दिनों के शिविरों में भेजा। जो अधिकारी गए उनके व्यवहार में उल्लेखनीय परिवर्तन आए, जब मेरा तबादला हुआ दूसरी जगह तो वहाँ से भी लगभग 500 लोगों को मैंने इस तरह के शिविरों में प्रेरित करके भेजा, सभी में मुझे सकारात्मक बदलाव नजर आए। उनकी कार्यक्षमता बड़ी, विपश्यना में बड़ी ताकत है। विपश्यना बदलाव लाती है।एक उच्च पुलिस अधिकारी, जो इन विपश्यना शिविरों से होकर गुजरे, कहते हैं - पहले-पहल मन में यह लगा कि विपश्यना मुझे अब मेरी रोजमर्रा की जिंदगी के तनावों से, समस्याओं से, अवसाद से पलायन करने को मजबूर करेगी और मुझे शांत और तनावरहित जिंदगी की चाह उत्पन्न होगी, और ये सब मुझे कामकाज से दूर रहने की कीमत पर हासिल होगा।भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी बड़े बेबाक होकर कहते हैं- मैंने यहाँ आकर अपने पूर्वाग्रहों को बदलते देखा। पहले मैं जल्दी आवेश में आने वाला अधीर, अगंभीर किस्म का इंसान था। मुझमे दूसरों के दृष्टिकोण के प्रति शायद ही आदर रहा हो। मैं एक आत्मकेंद्रित व्यक्ति था। आज विपश्यना के अभ्यास से मैं यह कह सकता हूँ कि मैंने अपने अवगुणों में कमी आते देखी है। अब मैं अपेक्षाकृत विषम हालातों में धैर्य के साथ काम कर पाता हूँ, धीरजपूर्वक औरों की बात सुनकर अपना दृष्टिकोण बनाता हूँ।आयकर विभाग के कमिश्नर, जिन्होंने विपश्यना को आजमा कर देखा है एवं इसका अभ्यास कर रहे हैं, कहते हैं- शारीरिक एवं मानसिक हर तरह से मुझे लाभ मिला है। उच्चश्रेणी का प्रबंधन अधिकारी होने के नाते सरकार की कई नीतियों को लागू करने एवं उनके पालन की जिम्मेवारी हम पर होती है। विपश्यना से गुजरने के बाद ऑफिस में मैंने सच्चे अर्थों में पारदर्शिता लागू की, जिससे कार्यप्रणाली में अभूतपूर्व सुधार आए एवं कर्मचारियों में उत्साह का संचार देखा।