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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020 (14:51 IST)

हिंसा फैलाने का टूल बन रहे व्हाट्सएप ग्रुप, सोशल मीडिया पर लगाम लगाने में नाकाम सरकार

हिंसा फैलाने का टूल बन रहे व्हाट्सएप ग्रुप, सोशल मीडिया पर लगाम लगाने में नाकाम सरकार - Delhi Violence: Social media and whatsApp group tools to grow Rumors andi violence
दिल्ली हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, अब तक हिंसा में 39 लोग अपनी जान गवां चुके है और सैकड़ों लोग घायल है। हिंसा में घायल कई लोग अब भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे है। दिल्ली हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया है और उसने अपनी जांच शुरु कर दी है। पुलिस ने अब तक करीब आधा सैकड़ा एफआईआर दर्ज कर कई संदिग्धों को गिरफ्तार कर चुकी है।  
 
दिल्ली हिंसा में आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन का नाम सामने आने और भाजपा नेता कपिल मिश्रा के उनके कॉल डिटेल  की जांच की मांग को लेकर नया सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया है।  भाजपा नेता का आरोप हैं कि अगर ताहिर हुसैन के कॉल डिटेल की जांच की गई तो इसके पीछे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया की मिलीभगत की  बात सामने आ जाएगी। 
 
दिल्ली में हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस सवालों के घेरे में है,वहीं दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने के लिए सोशल मीडिया की खतरनाक भूमिका सामने आ रही है। दिल्ली पुलिस को अपनी शुरुआती जांच में जिन संदिग्धों को गिरफ्तार किया  है उनके मोबाइल से ऐसे आपत्तिजनक मैसेज मिले है जिनको हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया में विभिन्न ग्रुप की मदद सुर्कलेट किया गया। वेबदुनिया के दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि उसको अपनी जांच में ऐसे व्हाट्सअप ग्रुप मिले है जिनका इस्तेमाल दंगा भड़काने के लिए किया गया।
 
दिल्ली पुलिस ने जिन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है उनके पास से बड़ी मात्रा में मोबाइल फोन जब्त किए है। पुलिस के सूत्र बताते है कि दंगा भड़काने में सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक,वाहट्सअप और ट्विटर का इस्तेमाल किया गया  है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर नेताओं के भड़काऊ बनान को ट्रोल किया गया गया जिसने दंगा भड़काने में अहम भूमिका निभाई। पुलिस को अपनी जांच में ऐसे कई व्हाट्सअप ग्रुप मिले है जिसे भाजपा नेता कपिल मिश्रा और दिल्ली में हिंसा के दौरान पुलिस पर बूंदक तानने वाले का वीडियो खूब शेयर किया गया। इसके साथ ही हिंसा के दौरान सोशल मीडिया पर कई तरह के मैसेज शेयर किए गए। 
 
वरिष्ठ पत्रकार और लीगल एक्सपर्ट रामदत्त त्रिपाठी वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि यह सहीं है कि हिंसा फैलाने में सोशल मीडिया एक टूल की भूमिका में होते है लेकिन उससे भी बड़ी भूमिका ऐसे कंटेट को बनाने वाले एंटी सोशल एलीमेंट ( अफवाह फैलाने वाले लोग) की होती है जो समाज में जहर और वैमन्स्य फैलाते है। रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं अफवाहें फैलाने का काम तो बहुत पहले से होता आ रहा है लेकिन पहले इसका संचार व्यक्तियों से माध्यम होता था और आज सोशल मीडिया आने के बाद यहीं अफवाहों कई गुना तेजी से फैलाई जा सकती है। 
 
वेबदुनिया से बातचीत में वह कहते हैं कि सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने का जो काम एक संगठित गिरोह के रुप में चलाया जा रहा है उस पर लगाम लगाई जाए। वह कहते हैं यह तभी होगा जब पुलिस और प्रशासन निष्पक्ष होकर अपनी भूमिका निभाए और ऐसे तत्व चाहें वह किसी विचारधारा और पॉलिटिकल पॉर्टी से जुड़े हो उन पर सख्त कार्रवाई करें। वह कहते हैं कि IPC,CRPC और साइबर लॉ के जो कानून बने हुए है वह पर्याप्त है जरूरत इस बात कि कानून का सहीं तरीके से लागू किया जाए और इसके लिए इच्छाशक्ति की जरूरत है। 
 
वेबदुनिया से बातचीत में रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं आज सोशल मीडिया के साथ –साथ टीवी न्यूज चैनलों भी अफवाहों को बढ़ाने का काम कर रहे है जिसको रोकने में सरकारें पूरी तरह नाकाम नजर आ रही है।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश पर केंद्र सरकार सोशल मीडिया पर लगाम कसने के लिए दिशा निर्देश तैयार कर रही है। 
 
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