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Written By WD

दिल्ली में 8 सीटों पर भाजपा की कड़ी परीक्षा

दिल्ली में 8 सीटों पर भाजपा की कड़ी परीक्षा -
-श्रवण शुक्ल, नई दिल्ली से

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आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने पहली सूची में 62 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया, जिसमें उसने 4 सीटें गठबंधन के तहत शिरोमणि अकाली दल (बादल) के लिए छोड़ी हैं। भाजपा ने भले ही पहली सूची जारी करके राहत की सांस ली हो लेकिन उसकी असली चुनौती अभी बाकी है। यह चुनौती शेष बची सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर है।

तीमारपुर, आदर्श नगर, बवाना, नांगलोई, ओखला, छतरपुर, सीमापुरी और मुस्तफाबाद सीटों से कौन चुनावी मैदान में उतरेगा, इसका फैसला नहीं हो सका है। भाजपा के लिए ये सभी आठ सीटें अबूझ पहेली बनी रही हैं।

इन 8 में से 5 सीटों पर भाजपा पिछली बार जीतते-जीतते रह गई और इसकी वजह स्थानीय वोट बैंक के साथ ही तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियां भी रही हैं। वहीं कुछ सीटों पर उसे करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

पिछले बार के चुनाव में भाजपा ने तीमारपुर सीट मात्र 2000 वोटों के अंतर से गंवाया था तो ओखला सीट मात्र 541 वोटों से जबकि मुस्तफाबाद में यह अंतर मात्र 979 वोटों का रहा था, वहीं, बवाना सीट को भाजपा ने 17143 वोटों के भारी अंतर से गंवाया था।

ओखला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को जद (यू) से हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन यह हार काफी करीबी रही। इसकी वजह स्थानीय मुस्लिम ऑटों का जद (यू) और कांग्रेस में बंटवारा था, लेकिन इस बार इस सीट से विधायक आसिफ मुहम्मद कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

भाजपा इस चुनौती से अनजान नहीं है, इसीलिए वह अपने पत्तों को संभालकर रखने पर जोर दे रही है। भाजपा के रणनीतिकारों की माने तो इन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा हो जाने के बाद ही भाजपा अपने प्रत्याशियों की घोषणा करेगी।

विरोध का नहीं हुआ असर, रामवीर सिंह विधूड़ी को टिकट : भारतीय जनता पार्टी ने जिताऊ उम्मीदवार खड़े करने की अपनी पुरानी प्रथा अब तक नहीं छोड़ी है। इसका उदाहरण आज फिर सामने आ गया, जब पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए रामवीर सिंह विधूड़ी को बदरपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया।

कुछ दिनों पहले ही बदरपुर के पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाजपा केंद्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन कर विरोध जताया था कि वह पार्टी के किसी स्थानीय निष्ठावान कार्यकर्ता को टिकट दे, मौकापरस्तों को नहीं। उनका कहना था कि रामवीर सिंह विधूड़ी हर विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी बदलते रहते हैं। ऐसे में अगर पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को किनारे रखकर उन्हें टिकट दिया जाता है तो स्थानीय कार्यकर्ता क्षेत्र में भाजपा को समर्थन नहीं देंगे।

विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे युवा कार्यकर्ता संतोष सिंह ने बताया कि हमने क्षेत्र में काफी मेहनत की है, लेकिन रामवीर सिंह की दलबदलू वाली छवि से हम आतंकित हैं। पार्टी को चाहिए था कि वह हमारे बीच के किसी प्रत्याशी को टिकट देती, लेकिन अब जब विधूड़ी को टिकट मिल ही गया है तो हम पूरे चुनाव के दौरान घर पर बैठेंगे।

बदरपुर विधानसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां की राजनीति पार्टीगत न होकर व्यक्तिगत है, क्योंकि असर किसी का भी हो, सरकार किसी की भी हो, यहां से सिर्फ दो ही नाम जीतते हैं, पहला रामसिंह नेताजी और दूसरा रामवीर सिंह विधूड़ी।