Last Modified: नई दिल्ली ,
सोमवार, 2 दिसंबर 2013 (20:40 IST)
दिल्ली में कांग्रेस, भाजपा की मात्र 11 महिला प्रत्याशी
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नई दिल्ली। भाजपा और कांग्रेस लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए भले ही 33 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन करती हो लेकिन जब दिल्ली में 4 दिसंबर के चुनाव के लिए महिला उम्मीदवारों को उतारने की बारी आई तो दोनों ही पार्टियों का उत्साह ठंडा पड़ गया।
70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए भाजपा और कांग्रेस ने कुल 11 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि आम आदमी पार्टी से 6 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं।
दिल्ली में एक महिला मुख्यमंत्री 15 साल से सरकार का नेतृत्व कर रही है लेकिन पार्टी (कांग्रेस) ने सिर्फ 6 महिलाओं को उतारा है, जो कुल उम्मीदवारों का 8.5 प्रतिशत है वहीं भाजपा ने 5 महिला उम्मीदवारों को उतारा है, जो कुल 66 उम्मीदवारों का 7.5 प्रतिशत है। पार्टी ने 4 सीटें अपने सहयोगी अकाली दल (बादल) के लिए छोड़ी है।
तीनों प्रमुख पार्टियों द्वारा महिला उम्मीदवारों को दिए गए टिकटों की संख्या दिल्ली की महिला आबादी से जरा भी सामंजस्य नहीं रखती है। मतदाता सूची के मुताबिक कुल 1.19 करोड़ वोट डालने के लिए योग्य हैं जिनमें से 53 लाख महिलाएं हैं और 66 लाख पुरुष हैं।
कुल 810 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं जिनमें सिर्फ 70 महिलाएं हैं। वर्ष 2008 के चुनाव में कुल 57 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी। हालांकि पार्टियों ने दावा किया है कि कम संख्या में महिला उम्मीदवारों को उतारा जाना इरादतन नहीं है, बल्कि यह परिस्थितिजन्य है।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा है कि चुनावों के लिए उम्मीदवारों को उतारा जाना भी परिस्थितिजन्य है। हम निश्चित तौर पर महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन करते हैं लेकिन चुनावों में महिलाओं के वास्तविक प्रतिनिधित्व को प्रभावित करने वाले कुछ खास कारण हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाना पूरी तरह से उसकी जीत की संभावना पर निर्भर करता है। कुछ पार्टियों को लगता है कि महिलाओं के लिए सिर्फ 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून ही सोच बदल सकता है।
भाकपा (माले) की सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि जब महिला उम्मीदवारों की बात आती है तो कई बाधाएं सामने आती हैं, भेदभाव एक बड़ी बाधा है। यह जरूरी है कि महिलाओं के लिए कुछ आरक्षण हो ताकि राजनीतिक परिदृश्य पर उनकी भागीदारी और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। (भाषा)